यूनिवर्सल हैल्थ कवर

Afeias
20 Mar 2018
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Date:20-03-18

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वर्तमान बजट में सरकार ने एक व्यापक स्वास्थ्य नीति की घोषणा की है। इसे ‘‘आयुष्मान भारत’’ का नाम दिया गया है। वित्त मंत्री ने ऐसी आशा जताई है कि इस योजना से भारत के दस करोड़ लोगों का लाभ पहुँचेगा। आधिकारिक तौर पर यह माना जा रहा है कि सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना सूची के आधार पर ही लोगों को लाभ मिल सकेगा। ऐसा लगता है कि सरकार का‘‘आयुष्मान भार’’ की योजना को यूनिवर्सल हैल्थ कवर की तर्ज पर लागू करना अच्छा विकल्प है। विश्व के सभी प्रमुख देशों ने इसे अपना रखा है। इसके कई लाभ हैं।

  • यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज एक ऐसा तंत्र है, जो किसी देश के नागरिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ-साथ वित्तीय संबल प्रदान करता है।
  • इस प्रणाली में नागरिकों को अलग-अलग श्रेणियों में लाभ लेने का अधिकार मिल जाता है। व्यक्ति अपनी स्थिति, अपेक्षित सेवाएं एवं सेवाओं के अनुरूप उनकी कीमत के अनुसार कवर ले सकता है।
  • स्वास्थ्य सेवाओं की कीमतें सभी की जेब पर चोट करती हैं। अतः विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वित्तीय कठिनाइयों को सुगम बनाने की दृष्टि से इसे उत्कृष्ट बताया है। भारत में भी इससे एक अरब लोगों को लाभ पहुँचने की संभावना है।
  • यह ऐसी व्यवस्था है, जिसमें सभी वर्गों को एकीकृत और व्यापक रूप से सेवाएं उपलब्ध हो सकती हैं।
  • इस व्यवस्था का लक्ष्य विश्व के सभी लोगों को स्वास्थ्य के स्तर पर एक सी समान सुविधा उपलब्ध कराना है।
  • इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक इसे विश्वव्यापी बनाने पर विचार किया है।
  • इस व्यवस्था में व्यक्ति बेसिक कवर ले सकता है या परिवर्तनशील कवर।
  • इसमें चिकित्सकों को अपने प्रमाण-पत्रों के साथ ऑन-लाइन पंजीकरण की सुविधा देनी होगी। इससे इस क्षेत्र में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को लागू करके सेवा प्रदाताओं के बीच बेहतर सेवाएं देने की प्रतिस्पर्धा को जगाया जा सकेगा। इसका लाभ मरीजों को मिलेगा।
  • इस तंत्र में रिस्क कवर भी किया जाता है, जो बीमा योजनाओं से सस्ता है।
  • इस योजना के अंतर्गत केन्द्र और राज्य सरकारें अपनी वर्तमान स्वास्थ्य सेवाओं को यथावत चला सकती हैं। साथ ही उन्हें इस कवर के धारक को आर्थिक सहूलियत देनी होगी।

व्यवस्था को लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक नियामक संस्था बनानी होगी, जो सेवाओं की गुणवत्ता जाँचने के साथ-साथ धारकों को टॉप-अप व प्लान रिन्यू की सुविधा दे सके।

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित अशोक पाल सिंह के लेख पर आधारित।

 

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