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भारत में 5जी का भविष्य
Date:13-08-19 To Download Click Here.
नई सरकार ने अपने 100 प्रारंभिक दिनों के कामकाज में 5जी का फील्ड ट्रायल करने को प्राथमिकता दी है। इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर आगे चल रही चीनी कंपनी हुआवे के इस ट्रायल में शामिल होने पर अभी सवाल बना हुआ है। पिछले दिनों अमेरिका ने इस चीनी कंपनी पर अपनी सरकार के साथ अमेरिकी डाटा साझा करने के आरोप में इसे काली सूची में डाल दिया था।
फिलहाल सवाल यह है कि भारत के लिए 5जी की जरूरत क्यों है, और अन्य देशों की तुलना में इसकी शुरुआत करने में भारत की क्या स्थिति है?
- भारत में 5जी तकनीक का प्राथमिक उपयोेग बिजनेस टू बिजनेस केस के लिए है। इससे ऑटोमेटेड ड्रायविंग और टेलीमेडिसीन जैसे क्षेत्रों को लाभ मिलेगा। उपभोक्ताओं को इंटरनेट की अच्छी स्पीड मिलेगी। आर्थिक दृष्टि से देखें, तो 5जी ऑपरेटर इस तकनीक के माध्यम से 2026 तक 582 अरब डॉलर अतिरिक्त कमाई की योजना रखते हैं। इससे विनिर्माण, ऊर्जा और यूटिलिटी क्षेत्र को सबसे ज्यादा अवसर मिलने की संभावना है। दूरसंचार क्षेत्र द्वारा 5जी सेवाओं से होने वाले राजस्व-लाभ के मूल्यांकन हेतु एक पैनल बनाया गया है, जिसने इस माध्यम से 2035 तक एक हजार अरब डॉलर का लाभ होने का अनुमान लगाया है।
- भारत में 5जी को अभी 25 गीगाहर्टस् या 28 गीगाहर्टस् स्पेक्ट्रम दिए जाने पर संशय बना हुआ है। पिछले वर्ष एयरटेल और हुआवे ने 5जी की शुरुआत के लिए एक लैब ट्रायल किया था। इसमें 3 गीगा बाइट प्रति सेकंड की कार्यक्षमता प्राप्त की गई। इसके बाद 5जी पर भारत में बात आगे नहीं बढ़ पाई।
अब दूरसंचार मंत्रालय ने एयरटेल, वोडाफोन, रिलायंस और जियो को अगले तीन माह तक 5जी ट्रायल की छूट दे दी है। सरकार भी इस क्षेत्र में भारतीय कंपनियों को विश्व स्तर पर ले जाने की इच्छुक है। अभी तक 5जी के 20 ऑपरेटर विश्व के 294 स्थानों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दूरसंचार उद्योग फिलहाल कर्ज में डूबा हुआ है, और उसे 5जी की बोली लगाने में इस स्थिति के उजागर हो जाने का डर है।
- 5जी के फील्ड ट्रायल के बाद ऑपरेटर, इसे उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध करा सकते हैं।, लेकिन इससे पहले उन्हें अपेक्षित स्पैक्ट्रम की आवश्यकता होगी। कुछ दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि चूंकि अभी भारत के सुदूर इलाकों में 4जी नेटवर्क ही नहीं पहुँच सका है। इसलिए 5जी को लाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
भारत के 5जी में हुआवे की भूमिका
अमेरिका द्वारा हुआवे पर प्रतिबंध लगाने के बाद कई देशों ने इसका अनुसरण किया है। हुआवे की तकनीक किफायती है। यही कारण है कि यू.के. ने इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
भारत ने अभी इस पर निर्णय नहीं लिया है। हुआवे भी भारत के साथ लिखित समझौता करने को तैयार है कि वह किसी प्रकार की सूचना लीक नहीं करेगा। भारत में जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह गृह और विदेश मंत्रालय की सम्मति से लिया जाएगा।
भारत के लिए 5जी तकनीक के महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस क्षेत्र में सरकार जो भी कदम उठाती है, वह जल्द ही लिया जाए, तो देश के डिजीटलीकरण की दिशा में यह लाभदायक सिद्ध होगा।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित प्रणव मुकुल के लेख पर आधारित। 16 जुलाई, 2019