भारत में रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए रणनीति बनानी होगी।
Date:06-11-17
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भारत की बढ़ती जनसंख्या के साथ बढ़ती बेरोजगारी, एक बड़ी चुनौती है। बढ़ती बेरोजगारी की समस्या ऐसी नहीं है, जिसे सुलझाया न जा सके। इस दिशा में कुछ रूकावटें हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए।
- मोबाइल फोन की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने 2015 में मोबाइल आयात पर कर बढ़ा दिया। इसके चलते पिछले दो वर्षों में मोबाइल से जुड़े 42 उद्योग भारत में काम करने लगे। इसने लगभग 4 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया।
2016 की फिक्की (FICCI) की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने जिस प्रकार मोबाइल उद्योग में व्युतक्रम शुल्क (inverted duty) के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन करके उसे बढ़ावा दिया, उसी प्रकार का प्रोत्साहन सीमेंट, कैपीटल गुड्स, इलैक्ट्रॉनिक्स एवं इलैक्ट्रिकल्स, रबर उत्पाद, खनिज एवं कपड़ा उद्योगों को देने की आवश्यकता है।
- रोजगार के अवसर बढ़ाने का संबंध दो प्रकार की प्रक्रिया से जुड़ा है। पहला उपक्रमों का सृजन एवं दूसरा, पहले से स्थापित उपक्रमों का विस्तार। रोजगारोन्मुखी नीतियाँ जैसे-निवेश को प्रोत्साहन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमन तथा व्यापार एवं श्रम बाजार के लिए अनुकूल तंत्र तैयार करने से ही रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।
फिलहाल, भारत में स्थितियां कुछ अलग हैं। यहाँ उपक्रम लगाने का संबंध रोजगार के नए अवसर सृजित करने से नहीं लगाया जाता। देश के 66 प्रतिशत से भी अधिक मध्यम एवं लघु उपक्रम किसी व्यक्ति को काम पर रखे बिना ही चलाए जाते हैं। सरकार की स्टार्टअप नीति में उपक्रम सृजन के अच्छे अवसर दिए गए हैं, परन्तु इसके अंतर्गत नहीं के बराबर उपक्रम काम कर रहे हैं। वैन्चर कैपिटल फंडिंग का 98 प्रतिशत छः प्रमुख नगरों के स्टार्ट अप को जा रहा है। इससे इन क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पनप रहे हैं। इस एकतरफा झुकाव से बात बन नहीं रही है।
- ऐसा दिखाई पड़ता है, भारत में उपक्रम लगाने एवे इसके जरिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की आकांक्षा है ही नहीं। इसके पीछे नवाचार पर बल न दिया जाना एवं जटिल नियमन प्रक्रिया दोषी हैं। चीन एवं अमेरिका जैसे देशों में; जहाँ नवाचार पर बजट का 3.5 प्रतिशत खर्च किया जाता है, भारत में यह 1 प्रतिशत है।
इस स्थिति को देखते हुए नीति आयोग ने ‘स्मॉल बिजनेस इनोवेशन एण्ड रिसर्च’ जैसा कार्यक्रम चलाया है। इस कार्यक्रम ने उम्मीद की किरण दिखाई है।
- बड़े उद्योग नवाचार का सहारा ले सकते हैं और प्रगति कर सकते हैं। परन्तु उनके लिए अन्य प्रकार की चुनौतियां हैं। पूंजी की ईकाइ की कीमत, श्रम की ईकाइ की कीमत की तुलना में 0.6 गुना घट गई है। इन उद्योगों में ऑटोमेशन एवं आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस के बढ़ते प्रभाव ने भी रोजगार के अवसरों को कम कर दिया है।
- रक्षा एवं एयरोस्पेस, शिक्षा एवं स्वास्थ्य, सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा आदि ऐसे नए उभरते हुए क्षेत्र हैं, जहाँ रोजगार की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। भारत ने 2022 तक हरित ऊर्जा के क्षेत्र में 10 लाख रोजगार के अवसर उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है।
वर्तमान में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न करना ही भारत का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है। विवेकपूर्ण तरीके से बनाई गई नीतियां एवं उनका कुशल कार्यान्वयन ही भारत को विकास-पथ पर अग्रसर कर सकता है एवं उसके नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार ला सकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अतुल राजा एवं कुशल प्रकाश के लेख पर आधारित।