भारत में रोजगार की स्थिति

Afeias
16 May 2016
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Date: 16-05-16

भारत में रोजगार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

अलग-अलग संस्थानों और सरकारी सर्वेक्षणों में भी यह बात सामने आ रही है।

  • अगर हम आठ श्रमिक आधारित उद्योगों में किए गए श्रमिक ब्यूरो के सर्वेक्षण को सही माने; तो 2011 में जहाँ नौ लाख रोजगार थे, उसमें 2013 में19 लाख और 2015 में मात्र 1.35 लाख रोजगार रह गये हैं।
  • जबकि आंकड़े दिखाते हैं कि हर महीने लगभग दस लाख नए लोग रोजगार की तलाश में जुड़ जाते हैं।
  • राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता को लेकर कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले दस वर्षों में लगभग5 करोड़ रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे।
  • 2011 की जनगणना से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में7 प्रतिशत की प्रतिवर्ष की औसत बढ़ोत्तरी हुई, रोजगार की वृद्धि दर केवल 1.8 प्रतिशत ही रही।

समस्या के कारण क्या हैं?

  • प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ देने वाले विद्यार्थियों संख्या बहुत ज्यादा है। 2015 का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि 15 वर्ष की आयु वाले बच्चों की संख्या मात्र8 प्रतिशत है, जो व्यावसायिक प्रशिक्षण ले रहे हैं या ले चुके हैं। देश के विकास के लिए सार्वाजनिक शिक्षा प्रणाली का विकसित एवं सुदृढ़ होना जरूरी है। वर्ष 2015-16 के बजट में शिक्षा के क्षेत्र में 3 प्रतिशत से 3.1 प्रतिशत की ही बढ़ोत्तरी की गई।
  • ‘मेक इन इंडिया’के तहत आई कंपनियां भारत में अपने उद्योग अपने उत्पाद बेचने के उद्देश्य से लगाएंगी। ये उस तुलना में रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं कराएंगी। जबकि लघु और मध्यम दर्जे के उद्योग लगभग 40 प्रतिशत लोगों को रोजगार देते हैं। साथ ही भारतीय निर्मित सामान में 45 प्रतिशत तथा कुल निर्यात में 40 प्रतिशत का योगदान देते हैं। चूंकि इन उद्योगों के लिए सरकारी नीति बहुत सहायक नहीं है, इसलिए इन्हें बढावा नहीं मिल पा रहा है।
  • एक सर्वे के अनुसार लगभग 95 प्रतिशत उद्योगों को बैंक के दायरे में लाने की जरूरत है। लघु उद्योग बैंकों से बहुत कम लाभ ले पा रहे हैं।
    सार्वजनिक बैंक इन लघु उद्योगों को ऋण देने की बजाए बड़ी कंपनियों को ऋ़ण देते हैं।
  • सरकार की वित्तीय नीति का लाभ बड़ी कंपनियों को भी अधिक मिलता है। वर्ष 16-17 के बजट में कर की लगभग साढ़े पाँच लाख करोड़ रुपये की छूट दी गई, इसका ज्यादा लाभ बड़ी कंपनियों को ही मिला।

समाधान

  • 2016-17 के बटज में पहली बार रोजगार की बृद्धि के लिए ‘स्टैण्ड अप’और ‘स्टार्ट अप’जैसे कार्यक्रम शुरू किये गये हैं। स्टार्ट अप इंडिया सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अवसर देगा, जबकि स्टैण्ड अप स्थानीय कारीगरों को अपना उद्याग बढ़ाने में सहायता देगा।
  • निर्यात करने वाले उद्योगों, लघु एवं मध्यम् दर्जे के उद्योगों तथा कृषि उत्पाद की प्रोसेसिंग करने वाले उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे गाँवों और कस्बाई क्षेत्रों के युवाआंे को लाभ मिलेगा।

दि टाइम्स ऑफ इंडिया  के एक लेख से।