भारत का अंतर्देशीय स्थानांतरण

Afeias
26 Jul 2017
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Date:26-07-17

 

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पूरे भारत की कुल प्रजनन दर में कमी आई है, परन्तु 12 राज्य अभी भी ऐसे हैं, जहाँ प्रति स्त्री प्रजनन दर 2.1 बच्चे की है। इसे प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन (Replacement Level Fertility) कहते हैं। इसके अनुसार बिना प्रवास के ही जनसंख्या की एक पीढ़ी, दूसरी पीढ़ी को स्थानांतरित कर देती है। अधिकतर देशों में इसकी 2.1 बच्चा प्रति स्त्री है। सामान्यतः जब कुल प्रजनन दर कम होनी शुरू होती है, तो वह 2.1 पर नहीं रुकती, बल्कि और भी अधिक गिरती जाती है। इसका उदाहरण हमें केरल (1.6), तमिलनाडु (1.7) और कर्नाटक (1.8) में देखने को मिलता है। ऐसा होने पर जनसंख्या के स्वरूप में अंतर आने लगता है। युवा पीढ़ी में कमी एवं बुजुर्गों की जनसंख्या में वृद्धि होने लगती है।

भारत के उत्तर के राज्यों में अभी युवा जनसंख्या की भरमार है, जबकि दक्षिण के राज्यों में अपेक्षाकृत बुजुर्ग अधिक हैं। अतः हमारी आगामी विकास नीतियों का आधार यह पक्ष भी होना चाहिए।

  • फिलहाल हमारी जनसांख्यिकीय क्षमता उत्तर भारत के बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों तक सीमित है। ऐसा अनुमान है कि 2030 तक इन्हीं राज्यों में 55 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वृद्धि हो सकती है। आज 15 वर्ष की आयु वाले बच्चे अगले दशक में कामकाजी वयस्क की श्रेणी में आ जाएंगे। आज इस उम्र का हर दूसरा बच्चा इन्हीं राज्यों में से है।
  • कई वर्षों पहले से ही दक्षिण भारत में बुजुर्गों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने लगी थी। अब इसका विस्तार पश्चिम, पूर्वी और उत्तरी सीमांत राज्यों तक हो गया है।
  • आने वाले दशकों में इन राज्यों को अपेक्षाकृत युवा जन की आवश्यकता होगी, जो विभागों के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के साथ-साथ बुजुर्गों की भी देखभाल कर सकें। उत्तर भारत के युवा जनसंख्या वाले राज्यों पर यह दारोमदार आ जाएगा। ऐसी युवा जनसंख्या में वृद्धि होते राज्यों की तरफ स्थानांतरण की प्रवृत्ति अभी से ही देखी जा सकती है। आने वाले समय में यह बढ़ेगी।
  • अपने परिवार में बच्चों और बुजुर्गों को छोड़कर स्थानांतरित होने वाले युवाओं के इस कदम के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का आकलन किया जाना चाहिए।
  • नई संस्कृति और अलग भाषा बोलने वाले समुदायों में इनके स्थानांतरण को सोचा-समझा जाना चाहिए। प्रवासियों के साथ-साथ वहाँ की स्थानीय जनता के मामलों पर भी गौर किया जाना चाहिए।
  • प्रवास की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए उस स्थान पर आवास, बुनियादी ढ़ांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करने हेतु अनुमान लगाए जाने चाहिए। इसमें राज्यों के बीच तालमेल बैठाए जाने की जरूरत है। राज्य स्थानांतरित व्यक्ति का पूरा ब्यौरा रखें एवं पीछे छूटे उस व्यक्ति के परिवार के सहयोग के लिए तंत्र विकसित करें।

भारत को तत्काल ही इस प्रवास पर ध्यान देने की आवश्यकता है। समय पर बना ली गई रणनीतिक कार्यप्रणाली से व्यक्ति की क्षमता का सही उपयोग किया जा सकेगा। इससे राज्यों के बीच विकास, रोजगार एवं सहयोग के स्तर में नए प्रतिमान बनाए जा सकेंगे।

हिन्दू में प्रकाशित डियागो पालासिओस के लेख पर आधारित।

 

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