नेपाल के साथ साझेदारी

Afeias
12 Sep 2017
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Date:12-09-17

 

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विश्व के निकटतम पड़ोसी देशों में भारत और नेपाल भी शामिल हैं। हमारे विकास के लिए ऐसे बहुत से मुद्दे हैं, जिन्हें साझा किया जा सकता है। इनमें स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, गरीबी, शिक्षा आदि विषयों पर साथ मिलकर भविष्य की योजनाएं बनाई जा सकती हैं। आने वाले एक दशक तक अगर हमने मिलकर विकास के केन्द्रों को ईमानदारी से साध लिया, तो हम बहुत आगे बढ़ सकते हैं।

  • बेहतर संपर्क साधन

तीन वर्ष पूर्व हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल की संसद को संबोधित करते हुए राजमार्ग एवं सूचना मार्ग के महत्व के बारे में बात की थी। व्यवसाय एवं उद्योगों के लिए इससे कीमतों में कमी आएगी। नेपाल को इलैक्ट्रिक रेलवे, राजमार्ग एवं हवाई मार्गों के विस्तार की नितांत आवश्यकता है। इससे वह और उसके पड़ोसी देश आपस में बेहतर संपर्क जोड़ सकेंगे।

  • उत्पादकता को बढ़ाना

नेपाल में स्वच्छ ऊर्जा की भरमार, श्रम की अधिकता, तराई भूमि और पहाड़ों पर होने वाली ऊपज कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिनके सदुपयोग से उत्पादकता को बहुत बढ़ाया जा सकता है। नेपाल के पहाड़ों की खूबसूरती को पर्यटन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य तीनों ही दृष्टियों से भुनाया जा सकता है।

  • नई आर्थिक संभावनाएं

वर्तमान में भारत के साथ व्यापार में नेपाल बहुत घाटे में है। उसकी अपनी उत्पादकता कम हुई है और आयात लगातार बढ़ रहा है। फिलहाल उसने संपूर्ण उद्योगों के बजाय पृथक-पृथक आर्थिक माध्यमों से आय बढ़ाने के उपाय किए हैं। भारत की ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं में नेपाल एक क्षेत्रीय कड़ी का काम कर सकता है। नेपाल के हाइड्रोपावर की मदद से सर्वर फार्म जैसे हाईटेक सेक्टर में उन्नति हो सकती है।

  • सामाजिक क्षेत्र में नए प्रयोग

विकास के निचले स्तर पर भी नेपाल सामाजिक योजनाओं में बहुत गतिशील है। वहाँ राष्ट्रीय आय का 4 प्रतिशत सामाजिक योजनाओं पर खर्च किया जाता है। भारत की  आधुनिक दूरसंचार प्रणाली, इंश्योरेन्स और पेंशन योजनाओं एवं रोजगार गारंटी योजनाओं से नेपाल को लाभ मिल सकता है। समानता एवं अन्य सामाजिक दुर्बलताओं पर दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं।

  • जन साधारण की सुरक्षा

हिमालय पर्वत नेपाल और विश्व की धरोहर है। आने वाले समय में करोड़ों लोग स्वच्छ जल की कमी से जूझ रहे होंगे। ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान में बढ़ोत्तरी को रोकना हम सबके लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में नेपाल की बड़ी नदियाँ स्वच्छ ऊर्जा का सुरक्षित साधन बनकर संपूर्ण दक्षिण एशिया के लिए जीवनदायिनी हो सकती हैं। नेपाल के नगरों और उद्योगों के कारण उसकी ओर से भारत में आने वाली नदियों का जल दूषित हो रहा है। वहीं भारत का वायु प्रदूषण नेपाल के आसमान को प्रदूषित कर रहा है। ब्लैक कार्बन के कारण मानसून की चाल में परिवर्तन, वातावरण की गर्मी का बढ़ना, हिमालय के ग्लेशियर का पिघलना जैसे परिवर्तन हो रहे हैं। भारत और नेपाल के बीच की इन समान समस्याओं को एक दूसरे के सहयोग से सुधारा जा सकता है।

भारत और नेपाल के पास युवा जनसंख्या की अधिकता है। इसका लाभ उठाते हुए दोनों देशों को भविष्य के विकास के लिए ऐसे एजेंडे का संकल्प ले लेना चाहिए, जो परिवर्तनकारी हों।

इंडियन एक्सप्रेम में प्रकाशित स्वर्णिम वागले के लेख पर आधारित।

 

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