नवनिर्वाचित मुख्य न्यायाधीश से एक अपील

Afeias
13 Sep 2017
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Date:13-09-17

 

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हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में दीपक मिश्र ने कार्यभार संभाला है। सन् 1950 से लेकर अब तक के वे 45वें सर्वोच्च न्यायाधीश हैं। यह पद बहुत ही गरिमापूर्ण एवं महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र के उन न्यायालयों से जुड़ा हुआ है, जो संपूर्ण विश्व में सर्वाधिक न्यायिक समीक्षा करने का रिकार्ड रखते हैं। यह पद भारत की 1.25 अरब आबादी के विश्वास को लेकर चलने वाला है।

वर्तमान में हमारी न्यायिक व्यवस्था पर जितने लोगों की उम्मीद टिकी हुई है, उसे देखते हुए यह बहुत ही लचर स्थिति में है। इसमें व्यापक स्तर पर सुधार किए जाने की आवश्यकता है

  • कुछ वरिष्ठ न्यायाधीशों को न्यायपालिका में सुधार के लिए एक, दो और पाँच वर्षों के लिए योजना तैयार करके उनके कार्यान्वयन पर नजर रखनी चाहिए।
  • पाँच वर्ष के लिए तैयार की गई योजनाओं को किसी भी सूरत में रोका नहीं जाना चाहिए।
  • हमारे देश की न्यायिक-व्यवस्था में सैकड़ों मामले लंबित पड़े हैं। यह हमारी न्यायपालिका की गरिमा के विरूद्ध है। हमारे न्यायाधीशों ने जिला न्यायालय के अतिरिक्त सभी स्तर के न्यायालयों में न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम की व्यवस्था कर दी है। इस प्रक्रिया की जानकारी का चार्ट एक समान, अपरिवर्तनशील एवं संस्थागत होना चाहिए। न्यायालयों में बड़ी संख्या में रिक्त पदों के कारण ही मामले लंबित पड़े हुए हैं। इस चार्ट में सर्वोच्चच या उच्च न्यायालय में पद रिक्त होने के छः माह पहले ही सूचना आ जानी चाहिए। इस व्यवस्था का संचालन किसी गैर न्यायिक अधिकारी द्वारा किया जा सकता है।
  • न्यायिक नियुक्तियों के क्षेत्र में अगर सरकार या मंत्री स्तर पर विलंब किया जाता है, तो मुख्य न्यायाधीश को अपने अधिकारों और शक्तियों का भरपूर प्रयोग करके इसे संभव बनाना चाहिए।
  • उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालय में उन्नति के लिए कॉलेजियम को एक समान मार्किंग सिस्टम पर काम करना चाहिए। साथ ही फैसलों की गुणवत्ता एवं प्रामाणिकता में कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायालयों की सच्चाई कागजों से भिन्न है। हमारे न्यायाधीशों एवं वरिष्ठ वकीलों का यह कत्र्तव्य है कि वे इस सच्चाई से न्याय जगत की शक्तिशाली हस्तियों को अवगत कराकर व्यवस्था में सुधार का प्रयत्न करें।

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित अभिषेक सिंघवी के लेख पर आधारित।

 

 

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