नीति-आयोग का तीन वर्षीय एक्शन-प्लान

Afeias
07 Jun 2017
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Date:07-06-17

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मई 2016 को प्रधानमंत्री कार्यालय ने नीति आयोग को पंद्रह वर्ष की कार्य योजना का मसौदा तैयार करने की सलाह दी थी। इस एजेंडे में सात वर्ष की कार्यनीति और तीन वर्षीय कार्यवाही के शामिल हैं। यह एजेंडा 2017-18 से 2019-20 तक काम करेगा । नीति आयोग की परिकल्पना, राजनीति और एक्शन एजेंडे को वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़ती चुनौतियों, विकास प्रक्रिया की संकल्पना एवं दृष्टिकोण के अनुरूप रखा गया है। यह भारत की बदलती स्थितियों के साथ विकास की रणनीति से कदम ताल मिलाकर चलने में सहयोग देगा।नीति आयोग के तीन वर्षीय एजेंड़े पर राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों एवं अनेक क्षेत्रों के विशेषज्ञों की राय ली गई और भारतीय अर्थव्यवस्था में दूरगामी बदलाव लाने के लिए महत्वाकांक्षी किंतु साहय प्रस्ताव शामिल किए। इन प्रस्तावों को विभागों के अनुसार अलग-अलग बांटा गया है।

  • राजस्व और व्यय
    • इसमें केंद्र के लिए एक मध्यावधी व्यय की रूपरेखा का प्रस्ताव है।
    • राजस्व के पूर्वानुमानों के आधार पर तीन वर्ष के लिए क्षेत्रगत व्यय-आवंटन का प्रस्ताव है।
    • 2018-19 तक राजकोषीय घाटे में सकल घरेलू उत्पाद से तीन प्रतिशत की कमी और राजस्व घाटे में सकल घरेलू उत्पाद से9% की कमी का प्रस्ताव है।
    • अतिरिक्त राजस्व को शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रक्षा, विकास, रेलवे, रोड़ एवं अन्य क्षेत्रों में लगाने का प्रस्ताव है।
  • कृषि
    • 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य से कृषि उत्पादों की बिक्री में सुधार किया जाए।
    • उन्नत सिंचाई, जल्दी-जल्दी बीजों में बदलाव और प्रेसीशन कृषि (एक ऐसी तकनीक जिसमें भूमि की उत्पादकता बढ़ाई जाती है) के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि की जाए।
    • बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन जैसे उच्च बाज़ार मूल्य वाले गैर कृषि-कर्म की ओर किसानों का रूझान बढ़ाने का प्रस्ताव है।
  • उद्योग एवं सेवाएं
    • निर्यात एवं अच्छी नौकरियों के सृजन के लिए तटीय रोज़गार क्षेत्रों का निर्माण किया जाए।
    • कानूनों में बदलाव करके श्रम-बाज़ार का लचीलापन बढ़ाया जाए।
    • निजी परिसम्पत्तियों कंपनियों (ए आर सी) को बड़ी परिसम्पत्तियों की नीलामी में सहयोग करके भारतीय बैंकों की ऊँची और बढ़ती गैर निष्पादित परिसम्पत्तियों को नियंत्रण में लाया जाए। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा निर्देशित ए आर सी को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाए।
    • कपड़ा, चमड़ा और जूता, इलैक्ट्रॅानिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, रत्न एवं आभूषण, पर्यटन, वित्त एवं भूमि सम्पत्ति के लिए विशेष कार्य बिंदु दिए गए हैं।
  • शहरी विकास
    • शहरी भूमि का आवासीय क्षेत्र बढ़ाकर और भूमि की कीमतों को कम करके अधिक-से-अधिक आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। इसके लिए निम्न उपाय किए जाने का प्रस्ताव है:-
  • भूमि को एक से दूसरे उपयोग में परिवर्तित करने के लिए नियमों में लचीलापन लाना।
  • बीमार ईकाईयों के अधीन जो भूमि है, उसे अन्य उपयोग में लेना।
  • जहाँ भी संभव हो, शहरी जमीन को आवासीय उपयोग में लेना।
  • फ्लोर स्पेस इंडेक्स को उदार बनाना।
    • इसके अलावा किराया नियंत्रण कानून में मॉडल टेनेंसी एक्ट की तरह सुधार किया जाना।
    • कई बिस्तर वाले शयनकक्षों के निर्माण को बढ़ावा दिया जाए।
    • नगर यातायात और कचरा प्रबंधन पर ध्यान दिया जाए।
  • क्षेत्रीय रणनीति
    • पूर्वोत्तर क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों और द्वीपों, उत्तरी हिमालय के राज्यों, रेगिस्तान एवं सूखा संभावित राज्यों में विकास परिणाम को बेहतर करने के लिए प्रयास किए जाएं।
  • यातायात और डिजीटल संपर्क
    • सड़क, रेल, नौपरिवहन और बंदरगाह, अंतर्देशीय जलमार्ग एवं नागरिक उड्डयन के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए।
    • बुनियादी ढांचे को विकसित करके, भुगतान तंत्र को सरल बनाकर और साक्षरता बढ़ाकर, मुख्य रूप से ई-शासन और वित्तीय समावेशन के लिए डिजीटल संपर्क को दुरूस्त किया जाए।
    • इंडिया इंफ्रास्ट्रचर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड की भूमिका को फिर से सशक्त करके, कम लागत वाले ऋण-माध्यमों और नेशनल इंवेस्टमेंट इंफ्रास्ट्रचर फंड का संचालन आरंभ करके पब्लिक-प्राइवेट साझेदारी को बढ़ाया जाए।
  • ऊर्जा
    • 2022 तक सभी घरों में बिजली, सभी बीपीएल घरों में एलपीजी उपलब्ध कराया जाएगा। 2022 तक ब्लैक कार्बन का उन्मूलन करना और 100 स्मार्ट शहरों में गैस वितरण जैसे उपभोक्ता अनुकूल कार्यक्रम का संचालन किया जाए।
    • उद्योगों को बिजली की प्रतिस्पर्धात्मक आपूर्ति के लिए क्रास सब्सिडी में कमी की जाए।
    • कोयला क्षेत्र में एक नियामक की नियुक्ति करके, व्यावसायिक खनन को बढ़ावा देकर और श्रम-उत्पादकता को बढ़ाकर सुधार किया जाए।
  • विज्ञान एवं तकनीक
    • समस्त सरकारी योजनाओं का व्यापक डाटाबेस तैयार करके, आवश्यक परिवर्तनों के लिए उनका मूल्यांकन किया जाए।
    • शिक्षा और उद्योगों में मांग के आधार पर अनुसंधान करने के लिए पर्चेसिंग पॉवर पैरिटी (PPPs) के दिशानिर्देश तैयार करने होंगे।
    • शिक्षा की उपलब्धता, कृषि उत्पादकता में सुधार, अवशिष्ट जल-प्रबंधन जैसी विकास की चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने के लिए विज्ञान एवं तकनीक का सही इस्तेमाल किया जाए।
    • राष्ट्रीय समस्याओं को पहचानकर उनकी विवेचना करने के लिए एक ‘नेशनल साइंस टेक्नॉलॉजी एण्ड इनोवेशन फाऊंडेशन‘ की स्थापना की जाए। इससे विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से समस्याओं के निराकरण के लिए एक रणनीति तैयार करके उसे अमल में लाया जाए।
    • पेटेंट व्यवस्था को दुरूस्त किया जाए।
  • शासन
    • जिन गतिविधियों में सरकार का हस्तक्षेप जन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता, वहाँ उसकी भूमिका की जांच की जाए। सरकार की भूमिका का वहाँ विस्तार किया जाए, जहाँ जनता को उसकी आवश्यकता हो।
    • घाटे में चलने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बंद करना और सार्वजनिक क्षेत्र के चुने हुए 20 केंद्रीय उपक्रमों से पैसा वापस लेने की योजना बनाई जाए।
    • जन स्वास्थ्य एवं शिक्षा में सरकार की भूमिका का विस्तार करना।
    • मानव संसाधन प्रबंधन, ई-शासन, सचिवों के कार्यकाल की गड़बड़ियों पर ध्यान देकर, विशेषज्ञता को बढ़ाकर लोक सेवाओं को सशक्त बनाने का प्रस्ताव है।

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