डिजीटल होती सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर
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- भारतीय पर्यटन केवल विदेशी मुद्रा कमाने का जरिया नहीं, वरन् भारतीयों को भी हमारी सांस्कृतिक धरोहर की विविधता और प्रचुरता से अवगत कराने का सशक्त माध्यम है।हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर में बहुत से ऐसे स्थल हैं, जहाँ तक पहुँचना दुश्कर है
- ऐसी जगहों एवं अन्य सभी पर्यटन स्थलों को इमेजिंग तकनीक से जोड़कर उन्हें पर्यटकों के लिए सुगम्य बनाया जा सकता है। इन स्थलों के आसपास उनसे जुड़ी होलोग्राफिक यानि वर्चुअल रिएलिटी पर आधारित प्रदर्शनी प्रारंभ कर दी जाए, तो जाहिर है कि पर्यटकों के वास्ततिक स्थलों पर बिताए जाने वाले समय को इन प्रदर्शनियों में बांटा जा सकेगा। इससे इन स्थलों की धूमिल पड़ती चमक को बचाया जा सकेगा।महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थिल अजंता-एलोरा गुफाओं के लिए 3डी तकनीक से प्रदर्शनी तैयार की गई है।
- दरअसल, इन गुफाओं की विलक्षण प्रतिमाएं समय के साथ-साथ विकृत होती जा रही हैं। दूसरे, इन गुफाओं में जन सुविधाओं का अभाव है। इसी तर्ज पर कर्नाटक के हम्पी को भी डिजीटल प्रदर्शनी से जोड़ा जा रहा है।डिजीटल युग में पर्यटन मंत्रालय ने ऐसी कोशिश करके बिल्कुल सही कदम उठाया है। इस तकनीक से हमारी धरोहरों को बचाने में मदद मिलने के साथ-साथ धूमिल होती कलात्मक अभिकृतियों को सहेजा भी जा सकेगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स‘ के संपादकीय पर आधारित।