जन सूचना पोर्टल
Date:04-10-19 To Download Click Here.
राजस्थान सरकार ने जन सूचना पोर्टल का शुभारंभ किया है। यह सूचना के अधिकार की दिशा में आगे का कदम है। सूचना के अधिकार का भाग 4, सूचना को उद्घाटन करने पर ही जोर देता है। पारदर्शिता के साथ-साथ जवाबदेही का होना भी अति आवश्यक है। इस परिप्रेक्ष्य में जन सूचना पोर्टल का खास महत्व है, क्योंकि यह पोर्टल पर उपलब्ध सूचना के प्रति राज्य सरकार को जवाबदेह बनाता है।
क्या कभी पारदर्शिता के साथ जवाबदेही से किसी सरकारी तंत्र का रूपांतरण हो सका है?
इस प्रश्न के जवाब में प्रत्येक सरकारी विभाग को खरा घोषित नहीं किया जा सकता, परन्तु कुछ मामले ऐसे हैं, जहाँ इसका सफल उदाहरण देखा जा सकता है।
- न्याय के क्षेत्र में एक नेशनल ज्यूडीशियल डाटा ग्रिड की शुरूआत की गई थी। कुछ समय पहले, वर्ष के अनुसार लंबित मामलों का विभाजन कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीशों और रजिस्ट्रार ने इससे अपनी जवाबदेही को समझते हुए मामलों का निपटान तेजी से प्रारंभ करवाया। अब अनेक न्यायालयों ने इसी मार्ग पर चलना शुरू कर दिया है।
किन क्षेत्रों में जन सूचना पोर्टल की उपयोगिता अधिक है?
- लगभग सभी सरकारी क्षेत्रों में यह उपयोगी सिद्ध हो सकता है। खाद्यान्न की उपलब्धता और सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा तमाम नीतियों के कार्यान्वयन में भी सटीक सूचना प्राप्त की जा सकती है।
- पोर्टल की पहुँच विभिन्न सरकारी अधिकारियों, आई टी प्रोफेशनल और सामाजिक समितियों के आपसी परामर्श का परिणाम है। इस प्रकार की साझेदारी आई टी के सभी क्षेत्रों में होनी चाहिए।
- भारत में डिजीटल गैप की समस्या बनी रहती है। इस पोर्टल से यह दूरी कम होगी।
- इंटरनेट पर सूचनाओं की उपलब्धि से प्रत्येक वार्ड और पंचायत की जनता को सूचनाएं मिल सकेंगी; जैसे
राशन दुकानों पर पता चल सकेगा कि किसी व्यक्ति ने अगर लंबे समय से राशन नहीं लिया है, तो उसका लाभ किसी अन्य व्यक्ति को दिया जा सके।
राज्य में किसानों की ऋण माफी, अवैध खनन, उत्पादन, रायल्टी और चुकाए गए कर आदि की संपूर्ण जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध रहेगी।
- अभी तक जिस सूचना को प्राप्त करने के लिए राजस्थान के नागरिकों को आरटीआई फाइल करनी पड़ती थी, उसे अब मुफ्त में जन सूचना पोर्टल पर प्राप्त किया जा सकेगा।
चुनौतियां
राजस्थान के अनेक विभागों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने रिकार्ड को डिजीटल करें। इसमें आई टी विभाग; विकास, क्रियान्वयन और जन सूचना पोर्टल के रखरखाव के लिए नोडल विभाग की तरह काम करेगा।
इस विभाग को उसके नियम-कानूनों की एडवायजरी दे दी गई है। इसका एडवायजरी समूह मॉनिटरिंग एजेंसी की तरह काम करेगा।
शिकायतों के निवारण के लिए भी अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।
नागरिकों को प्रशिक्षण
राज्य सरकार ने नागरिकों को पोर्टल से जुड़ा प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की है। पोर्टल के विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था है, जिससे म्यूनिसिपल वार्ड और पंचायत स्तर पर चलने वाली कल्याणकारी योजनाओं, राजस्व से जुड़ी खनन आदि गतिविधियों व अन्य स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाओं की जानकारी मिल सकेगी।
राजस्थान सरकार का यह प्रयास अद्भुत है। अन्य राज्यों को भी ऐसी योजना पर काम करने की कोशिश करके पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना चाहिए।
‘द हिन्दू’ में प्रकाशित मदन लोकर के लेख पर आधिारित। 14 सितम्बर, 2019