छोटे व मझोले उद्योगों में डिजीटलीकरण का महत्व

Afeias
05 Dec 2016
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10Date: 05-12-16

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विश्व बैंक एवं भारतीय औद्योगिक नीति विभाग ने ईज़ ऑफ डुईंग बिजनेस में जिन दस राज्यों को उच्च स्थान पर रखा है, उन्होंने छोटे एवं मझोले उद्योगों के दम पर ही अपना व्यापार बढ़ाया है।

भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग चालीस प्रतिशत इन छोटे व मझोले उद्योगों से आता है। सन् 2016 के आरबीआई के सर्वेक्षण में भी इस बात को माना गया है कि पिछले तीन वर्षों में लगभग 2.5 लाख ऐसे छोटे व मझोले उद्योगों ने लाभ में कई बड़े उद्योगों को पीछे छोड़ दिया, जिनका सूची में नाम भी नहीं है। राज्यों को भी यह बात समझ में आ रही है कि ये छोटे व मझोले उद्यम राज्य में निवेश को आकर्षित करने के अच्छे माध्यम बन सकते हैं। हाल ही में किए गए अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अधिकतर देशों की अर्थव्यवस्था में इन छोटे व मझोले उद्यमों का नब्बे प्रतिशत योगदान होता है। ये उद्यम किसी भी देश में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराते हैं।

  • भारत में छोटे मझोले उद्यमों का भविष्य सुधारने के लिए इन्हें डिजीटल इंडिया कार्यक्रम से जोड़ने की आवश्यकता है। इससे निम्न बहुत से लाभ होंगे।
    • डिजीटल संपर्क से छोटे उद्यमों की शक्ति बढ़ेगी। उन्हें बाजार मिल सकेंगे, वित्त सुविधा मिलेगी और वे वृहद् स्तर पर काम कर सकेंगे। इससे वे अधिक रोजगार दे सकेंगे।
    • डिजीटलीकरण से बाजारों में आपसी साझेदारी बढ़ जाती है। नई-नई खोजों और संसाधनों के बारे में ज्ञान पाने के लिए डिजीटल संपर्क अत्यंत आवश्यक है। छोटे उद्यम अगर बड़ी मशीनों का खर्च उठाने में असमर्थ होते हैं, तो उन्हें डिजीटल संपर्क से तत्काल समाधान (In time Solution) मिल सकता है।
    • उन्नत तकनीक के कारण बैंक भी इन छोटे व मझोले उद्यमों पर अधिक ध्यान दे पाएंगे। बैंकों में छोटे व मझोले उद्यमों के लिए अलग विभाग बना हुआ है, जो हर प्रकार से इनके लिए ऋण सुविधा उपलब्ध कराता है। डिजीटल होने के साथ ही अब बैंक कई प्रकार के ऋण बेहतर ढंग से उपलब्ध करा सकते हैं।
    • डिजीटल प्रगति से लैंगिक भेदभाव भी खत्म हो गया है। एक नए और क्रांतिकारी विचार रखने वाला कोई भी पुरूष या महिला आसानी से उद्यम शुरू कर सकता है। ऑनलाइन डिजीटल टूल्स के माध्यम से छोटे व मझोले उद्यमों में महिलाओं के लिए कई सुअवसर निश्चित  किए जा सकते हैं और किए भी जा रहे हैं।

फिलहाल 22 देशों की तुलना में हमारे देश में इन उद्यमों में महिलाओं की ग्यारह प्रतिशत भागीदारी है, जो बहुत कम है। फिर भी डिजीटलीकरण के माध्यम से हम अपने देश की पारंपरिक सोच और चलन को बदलने की ओर अग्रसर तो हुए ही हैं।

तेलंगाना और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों ने डिजीटल एकीकरण के माध्यम से ही ईज़ ऑफ डुईंग बिज़नेस में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। ऐसा करके उन्होंने छोटे व मझोले उद्यमों को बहुत प्रोत्साहन दिया है। ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि भारत के अन्य राज्य भी इस तथ्य को समझेंगे और इसी दिशा में बढ़ने का प्रयास करेंगे। भारत में लाखों रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इन उद्यमों का सशक्त होना जरूरी है।

  ‘इकॉनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित अंखी दास एवं शिवनाथ सुखराल के लेख पर आधारित।