गंगा की सफाई अभियान
गंगा की सफाई का काम वर्तमान सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।
इसकी कुछ विशेषताएं हैं तो वहीं कुछ तथ्य ऐसे है, जो इस मिशन की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। एक नजर इन सब पर-
- गंगा विश्व की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। इसका कारण है कई उद्योगों के गंदे पानी का नदी में निष्कासन, इसके किनारे रहने वाले लगभग 4,500 करोड़ लोगों के घरों से जुड़े सीवेज का सीधे नदी में गिरना आदि।
- अकेले वाराणसी में ही बड़े सीवेज ट्रीटमेंट उद्योग के लगने के बाद भी सीवेज का केवल 1/3 भाग ही साफ हो पाता है। बाकी सारा गंदा पानी गंगा में मिल जाता है।
- सरकार ने गंगा की सफाई के लिए विश्व का सबसे बड़ा सफाई अभियान चलाया है। इसके लिए लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
- सफाई अभियान को पूर्ण सफल बनाने में भ्रष्टाचार बहुत बड़ी रुकावट है। सरकार ने इस ओर कड़ा रूख अपनाया है।
- प्रदूषण के लिए सख्त नियम कानून बनाए जा रहे हैं। गंगा से जुड़ी लगभग चमड़े के लगभग सौ उद्योगों को बंद किया जा चुका है।
- पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि गंगा सफाई मिशन शायद पाँच सालों में पूरा न हो पाए। राइन और टेम्स नदियां भी 50-60 साल पहले ऐसी ही हालत में थी, उनकी पूरी सफाई के लिए लगभग 20 साल लगे। हम भी 10-15 सालों में गंगा के अभियान को पूरा कर लेंगे।
- गंगा की सफाई को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता देखकर लगता है कि इस कार्य में सफलता मिलेगी। बस आवश्यकता थोड़ी सर्तकता और निरंतर प्रयास की है।
‘‘ दी इंडियन एक्सप्रेस’’ में प्रकाशित
जस्टिन रॉलैट के लेख पर आधारित
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