क्वांटम सुप्रीमेसी

Afeias
25 Oct 2019
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Date:25-10-19

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हाल ही में ब्रिटेन के एक अखबार में खबर छपी थी कि गूगल ने ‘क्वांटम प्रभुत्व’ अर्जित कर लिया है। इसका मतलब यह है कि गूगल के शोधकर्ताओं ने क्वांटम कम्प्यूटर से ऐसे मुश्किल सवाल को कुछ सेकंड में हल कर डाला, जिसे सुपर कम्प्यूटर भी हल नहीं कर पाया था।

क्या है ये क्वांटम कम्प्यूटर

वर्तमान में काम कर रहे कम्प्यूटर से इसकी कार्यप्रणाली भिन्न होती है। क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांतों पर काम करने वाला यह कम्प्यूटर, कम्प्यूटेशनल प्राब्लम को चुटकियों में हल कर देता है। यह बडी से बड़ी संख्या और बड़े इनपुट वाली प्राब्लम को भी आसानी से हल कर देता है। यह सामान्य डेस्कटॉप या लैपटॉप से अलग दिखाई देता है। यह कार्यालयों के वातानुकूलित सर्वर रूम की तरह दिखाई देता है।

परंपरागत कम्प्यूटर, सूचना को ‘बिट्स’ या वन्स ;1द्ध या ;0द्ध जीरोज़ में प्रोसेस करते हैं। विश्व का सबसे शक्तिशाली सुपर कम्प्यूटर भी कई खरब सूचनाओं को कुछ सेकंड में प्रोसेस कर सकता है। क्वांटम कम्प्यूटर ‘क्यूबिट्स’ (क्वांटम बिट्स) में कम्प्यूट करता है। ऐटॉमिक स्केल पर काम करने वाले विज्ञान, क्वांटम मैकेनिक्स के गुणों पर काम करता है। इस प्रकार की स्कीम में प्रोसेसर 1और 0दोनों ही साथ-साथ हो सकते है। इस स्थिति को क्वांटम सुपरपोजिशन कहते हैं।

ये कैसे सहायक हैं?

हमारे पारंपरिक सुपर कम्प्यूटर की ऊर्जा-आवश्यकताएं और गति सीमित हैं। इसके साथ ही वे स्थान की मांग करते हैं। रीयल-वल्र्ड प्रॉब्लम में बड़े अमांउट के डाटा को क्वांटम कम्प्यूटर से हल किया जा सकता है। 1996 में लोव के. ग्रोवर ने इस तथ्य की खोज की कि सामान्य कम्प्यूटर की तुलना में क्वांटम कम्प्यूटर डाटा को करोड़ों स्टेप की जगह मात्र एक हजार स्टेप में हल कर सकता है। इससे प्रोसेसर और ऊर्जा की बचत होती है।

सैद्धांतिक रूप से एक क्वांटम कम्प्यूटर किसी प्रॉब्लम को तेजी से इसलिए हल कर पाता है, क्योंकि वह उन जटिल प्रॉब्लम पर वार करता है, जिन्हें क्लासिकल कम्प्यूटर हल नहीं कर पाते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ गति है।

बैंकिंग और सिक्योरिटी में लगे तमाम एप्लीकेशन ऐसे हैं, जो जटिल मैथमेटिकल प्रॉब्लम को हल नहीं कर पाते। क्वांटम कम्प्यूटर से ऐसा करना संभव होगा।

इसका अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि क्वांटम कम्प्यूटर हर एक चुनौतीपूर्ण समस्या को हल कर सकता है। इनमें भी कुछ विशिष्ट प्रकार के कार्य होते हैं। साथ ही ये सुपर कम्प्यूटर की तरह, रियल वल्र्ड प्रॉब्लम को हल करने में सिद्धहस्त नहीं हैं।

ऑनलाइन बैंकिंग में भूमिका

एक कम्प्यूटर विज्ञानी का कहना है कि बैंकिंग के वर्तमान एनक्रिप्शन मानदंडों के लिए ‘कई हाजार लॉजिकल क्यूबिट्स’ की आवश्यकता होगी। इसके लिए क्वांटम कम्प्यूटर को अलग तरह से डिजाइन करना होगा।

भारत में स्थिति

फिलहाल भारत में इस प्रकार का कोई कम्प्यूटर नहीं है। 2018 में विज्ञान एवं तकनीक विभाग ने क्वांटम एनेबेल्ड साइंस एण्ड तकनीक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। उन्होंने इसमें 80 करोड़ रुपये अगले तीन वर्षों तक खर्च करने का लक्ष्य रखा है। इसे अनुसंधान में लगाया जाएगा।
आगामी दशक तक क्वांटम कम्प्यूटर भारत में ही निर्मित करने का उद्देश्य है।

‘द हिन्दू’ में प्रकाशित जेकब कोशी के लेख पर आधारित। 29 सितम्बर, 2019

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