कॉमनवैल्थ सम्मेलन

Afeias
11 May 2018
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Date:11-05-18

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हाल ही में लंदन में कॉमनवैल्थ हेड्स ऑफ गवर्नमेन्ट मीटिंग संपन्न हुई। इस सम्मेलन का उद्देश्य कॉमनवैल्थ खेलों को एक नई ऊर्जा प्रदान करना था। ब्रिटेन के उपनिवेश रहे देशों में होने वाले इन खेलों का नेता एक प्रकार से ब्रिटेन है। यह सम्मेलन 32 वर्षों बाद ब्रिटेन में हुआ। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय कई वर्षों के बाद सम्मेलन में शामिल हुईं। उन्होंने सम्मेलन के अतिथियों के लिए शाही निवास बकिंघम पैलेस और विंडसर कैसल के द्वार खोल दिए थे। यह अपने आप में सम्मानजनक रहा।

भारत के लिए महत्व

  • 53 देशों का कॉमनवैल्थ सम्मेलन भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण रहा। इस दशक में सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री ने पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज की।

यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के बहार निकलने के बाद कॉमनवैल्थ देशों की 230 करोड़ जनता को एक सशक्त आर्थिक और नवाचार के सूत्र में बांधा जा सकता है। इसके लिए कॉमनवैल्थ देशों को अपने बीच में औपनिवेशिक संबंधों से बाहर निकलना होगा। उन्हें इस संस्था को एक ऐसा सक्रिय रूप देना होगा, जिसमें व्यापार से लेकर जलवायु परिवर्तन तक के समसामयिक विषयों पर चर्चा और समझौते किए जा सकें।

इन सबके बीच भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके लिए उसे किसी समूह का हिस्सा न बनने की अपनी मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा। कॉमनवैल्थ संगठन को बहुध्रुवीय वैश्विक क्रम में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्थापित करने की क्षमता भारत में है।

  • कॉमनवैल्थ देशों के एकजुट होने से चीन की “वन बेल्ट वन रोड“ वाली परियोजना के समानांतर एक आर्थिक सहयोग खड़ा किया जा सकेगा, और इस प्रकार चीन के ऋण-जाल में फंसने से बहुत से देश बच सकेंगे।

कॉमनवैल्थ की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं; जैसे आस्ट्रेलिया, भारत, कनाड़ा और ब्रिटेन को संगठन के देशों के बीच व्यापार और निवेश संपर्क बढ़ाने के प्रयास करने होंगे। इस संगठन की एकता के लिए मानवाधिकार व प्रजातंत्र से जुड़े मुद्दों को पीछे छोड़कर इसे एक कूटनीतिक शक्ति प्रदान करनी होगी।

कुल-मिलाकर यह एक ऐसा मंच बन सकता है, जहाँ से व्यापार, सुरक्षा और वैश्विक शासन का सूत्रपात किया जा सकता है। चूंकि भारत सकल घरेलू उत्पाद के मामले में ब्रिटेन से आगे बढ़ने की तैयारी में है, ऐसे में इन सभी गतिविधियों का केन्द्र इस बनाया जा सकता है। ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन भी अपने लिए सुअवसर की तलाश में है, और ब्रिटिश सरकार को इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए।

समाचार पत्रों पर आधारित

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