किगाली समझौता और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन गैस

Afeias
31 Oct 2016
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predictions-on-global-warming-e1455268962887Date: 31-10-16

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हाल ही में रंवाडा (Rawanda)के नगर किगाली में 197 देशों ने ग्रीनहाउस गैस समूह के प्रबल गैसों का रोकने के लिए समझौता किया है। ऐसा करने से शताब्दी के अंत तक विश्व के तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की कमी आ जाने की उम्मीद है।हाइड्रोफ्लोरोकार्बन क्या है?

  • यह ग्रीनहाउस परिवार की ऐसी गैस है, जो घरों एवं कारों में ठंडक देने वाले उपकरणों में प्रयोग की जाती है। सामान्य तौर पर इसे R-22 के नाम से भी जाना जाता है।
  • 1 किग्रा. कार्बन डाइ ऑक्साइड की तुलना में यह गैस 14,800 गुना अधिक गर्मी बढ़ाती है।
  • विश्व में बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों में इसका अनुपात सबसे ज्यादा है। इसका उत्सर्जन प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत बढ़ रहा है।
  • समझौते की विशेषता क्या है?
    • भारत, चीन एवं अमेरिका जैसे देशों ने 2045 तक एचएफसी के प्रयोग में 85 प्रतिशत कमी करने का संकल्प किया है।
    • इस समझौते में 1987 के मान्ट्रियल समझौते में एक प्रकार से सुधार किया गया है। पहले जहां महत्वपूर्ण देश ओजोन लेयर का नाश करने वाली गैसों के नियंत्रण तक ही सीमित थे, वे अब ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदायी गैसों के नियंत्रण की बात कर रहे हैं।
  • यह समझौता एक तरह से पेरिस समझौते की ही पुष्टि है, जिसमें सन् 2100 तक विश्व के तापमान में 20 सैल्सियस की कमी करने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
    • इस समझौते में शामिल सभी देशों ने एचएफसी पर नियंत्रण के लिए अलग-अलग समय सीमा रखी है। भारत ने अपनी समय सीमा 2028 रखी है।
    • इस समझौते में अभी एचएससी के 19 में से केवल एक प्रकार एचएफसी-23 को ही चरणबद्ध तरीके से हटाने की बात कही गई है।
    • इस समझौते में दी गई समय सीमा का पालन न करने वाले देशों को दंड दिए जाने का भी प्रावधान रखा गया है।
    • समझौते के बिन्दुओं की पूर्ति के लिए विकसित देश पर्याप्त धनराशि मुहैया कराएंगे। साथ ही एचएफसी के विकल्प के लिए शोध एवं अनुसंधान को वरीयता पर रखा गया है।

भारत की भूमिका

  • समझौते में भारत ने 2024-2026 की बेसलाइन पर 2031 तक एचएफसी को फ्रीज करने का लक्ष्य रखा है। इसका अर्थ है कि वह 2024-2026 में जितनी एचएफसी का उत्सर्जन कर रहा होगा, उसे 2031 के बाद बिल्कुल बढ़ने नहीं देगा।
  • भारत जैसे कई विकासशील देश एचएफसी के उत्सर्जन को खत्म करने के लिए समय सीमा बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि एचएफसी के विकल्प के रूप में प्रयुक्त रेफ्रीजरेंट्स का पेटेंट मूल्य बहुत अधिक है।
  • रेफ्रीजरेंट का निर्माण करने वाली कंपनियों को प्रति किलो एचएफसी 23 को नष्ट करने में 19 रुपये. की लागत आएगी। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये कंपनियां इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डालेंगी। हालांकि भारत ने विकसित देशों से मांग की है कि वे हमारी रेफ्रीजरेंट कंपनियों को वैकल्पिक रेफ्रीजरेंट की कीमत का बोझ उठाने में सहयोग दें।
  • विश्लेषकों का अनुमान है कि किगाली समझौते से भारत के आर्थिक विकास के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

समाचार पत्रों पर आधारित

 

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