आसियान देश और भारत

Afeias
20 Feb 2018
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Date:20-02-18

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इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति अभूतपूर्व है। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर, दसों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है।अपनी भौगोलिक स्थिति और आर्थिक गतिशीलता के कारण दक्षिण-पूर्वी एशिया, भारत के लिए बहुत महत्व रखता है। भारत आसियान देशों के बीच मुक्त व्यापार आर्थिक क्षेत्र 2010 (AIFTA) से काम कर रहा है। इसका मूल्य लगभग 60 अरब डॉलर वार्षिक है।  परन्तु दक्षिणपूर्वी एशिया के कुछ अवरोधों के कारण भारत के कृषि, कपड़ा और दवाओं के निर्यात पर प्रभाव पड़ा है।

आसियान देशों में से कुछ के पास ऐसे बुनियादी ढाँचे है जो निर्यात के लिए अत्यधिक आधुनिक सुविधाएँ रखते हैं। परन्तु इस क्षेत्र में भारत की अभी शुरूआत है। दोनों के बीच के इस संरचनात्मक अंतर के कारण ही भारत को घाटा हो रहा है। इस घाटे की पूर्ति भारत को टेलीकॉम, बैंकिंग और आई टी के सेवा क्षेत्रों में अपने निर्यात को बढ़ाकर करनी चाहिए।हमारे प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के द्वार खोलकर आसियान देशों केा भी आकर्षित करने की कोशिश की है। परन्तु अभी तक इस कोष में सबसे ज्यादा सिंगापुर ने ही निवेश किया है। आसियान के उप समूह के पाँच प्रमुख देश मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैण्ड, फिलीपींस और वियतनाम से ‘मेक इन इंडिया’ की दिशा में सक्रिय निवेश करने की उम्मीद की जा सकती है।

  • आसियान में चीन की भूमिका और भारत

चीन ने आसियान देशों के आर्थिक महत्व को समझते हुए शुरू में ही काफी पूंजी लगाई है, ताकि आसियान के बाजारों में उसकी पैठ बनी रहे। दूसरे, चीन अपने “वन बेल्ट वन रोड” वाले प्रयास में आसियान के अधिक से अधिक देशों को बनाए रखने का इच्छुक है। तीसरे, इन देशों के साथ उसके ऐतिहासिक संबंध भी रहे हैं।

इसके उलट अगर भारत की स्थिति देखें, तो वह किसी रूप में कम नहीं है। आसियान देशों के साथ भारत के भी बहुत पुराने आध्यात्मिक संबंध रहे हैं। आसियान देशों और भारत के बीच सभ्यता एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता रहा है। दूसरे, चीन की बढ़ती दादागिरी से आसियान देश भी परेशान हैं, और वे भारत को इसके प्रतिकार के रूप में देखते हैं। भारतीय भाईचारे की नीति ने उन्हें अपनी ओर खींचने में सफलता प्राप्त कर ली है। दूसरी ओर, चीन अपना प्रभुत्व बढ़ाते हुए लगातार आसियान देशों में से कुछ के क्षेत्रों पर अपना कब्जा जमाए चला जा रहा है। इस प्रकार वह उनकी संप्रभुता को घुटने टेकने पर मजबूर करना चाहता है।

अमेरिका के साथ भारत के मजबूत संबंधों के मद्देनजर आसियान देश चीन की विशाल सैन्य-शक्ति के विरूद्ध एक कवच जैसा कुछ चाहते हैं।सिंगापुर के ली कुआन यू ने तो भविष्यवाणी कर दी है कि 2030 तक अमेरिका, चीन और भारत मिलकर इस क्षेत्र का भविष्य निश्चित कर देंगे।चीन की फूट डालो और राज करो की नीति से अभी तक आसियान देशों के आपसी और भारत के साथ संबंधों में बहुत दूरी रही है, जिसे मिटाने का सही समय आ गया है।भारत को चाहिए कि वह ‘सार्क’ देशों तक के अपने पड़ोस का विस्तार करके उसे आसियान देशों तक बढ़ा ले। यही समझा जाए कि आसियान देश हमारे अपने हैं। तभी भारत को वहाँ खुलकर प्रवेश मिल सकेगा।

समाचार पत्रों पर आधारित।

संबंद्ध प्रश्नमुख्य परीक्षा 2017 :सामान्य अध्ययन पेपर-2, प्रश्न संख्या 20.

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