अर्थव्यवस्था में शिथिलता
To Download Click Here
हाल ही में अर्थव्यवस्था से जुड़े दो ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जो सरकार के लिए चिन्ता का विषय हो सकते हैं। एक तो सकल स्थिर पूंजी गठन में कमी तथा उत्पादन में लगातार दूसरे तिमाह भी गिरावट देखने में आई है। दोनों ही बातें ऐसी हैं, जिन पर एक्शन लेने की आवश्यकता है। इसका प्रभाव निवेश और रोजगार पर पड़ रहा है। निवेश कम हो रहा है और रोजगार भी। गुजरात में पटेल, हरियाणा में जाट, राजस्थान में गुर्जर और महाराष्ट्र मे मराठों के आंदोलन एक तरह से चेतावनी दे रहे हैं।
सरकार क्या कर सकती है?
- सरकार को भूमिहीन श्रमिकों और शहरी मजदूरों के लिए सार्वजनिक आवास योजना प्रारंभ करनी चाहिए। इसकी समय-सीमा तय हो। आधुनिक निर्माण तकनिकों का उपयोग करके ऐसे कम आय वर्ग के लिए बनाए जा रही आवासीय योजनाओं को डेढ़ माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा जाए। स्मार्ट सिटी के साथ-साथ ऐसी समय सीमाबद्ध छोटी-मोटी परियोजनाओं से रोजगार के अवसर लगातार आते रहेंगे।
- वस्त्र एवं परिधान के निर्यात को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। सरकार की वर्तमान कपड़ा नीति इसी दिशा में उठाया जा रहा पहला कदम है। दरअसल, इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। अगर सरकार इस क्षेत्र से जुड़े मझोले एवं छोटे निर्यातकों की क्षमता बढ़ाने के लिए मदद करे, तो उन्हें बहुत लाभ हो सकता है।
- पर्यटन का क्षेत्र भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराता है। इस क्षेत्र में निजी रूप से काम करने वाले आॅपरेटर एवं निवेशकों को आमंत्रित करके उनकी बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है।
- रिजर्व बैंक को चाहिए कि वह रुपये में मजबूती लाने की दलीलों को दरकिनार करते हुए उसकी कमजोरी को बनाए रखे। इससे श्रम आधारित निर्यात को बहुत बढ़ावा मिलेगा। अभी विश्व में हमारे निर्यात का प्रतिशत महज6 है। इसे बढ़ाए बिना हम न तो रोजगार बढ़ा पाएंगे और न ही सकल घरेलू उत्पाद की दर को।
- नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित तटीय विकास क्षेत्रों (CEZs) की योजना समय से लगभग 30 साल पुरानी है और किसी भी स्थिति में लागू करने लायक नहीं है। चीन की तर्ज पर पहले भी आर्थिक विकास क्षेत्र बनाए गए थे, जो विफल रहे। अतः सरकार को इन्हें शुरू नहीं करना चाहिए।
- विश्व बाजार में भारत के शेयर तेजी पर हैं। इसका लाभ उठाते हुए सरकार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना चाहिए। निजी क्षेत्र के छोटे व्यवसायियों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करने में नीति आयोग को सहयोग देना चाहिए।
- ‘स्टार्ट अप इंडिया’ एवं ‘स्टैंड अप इंडिया’ जैसी रोजगार मुहैया कराने वाली सरकारी योजनाओं पर नीति आयोग को पैनी नजर रखनी होगी। इसकी विकास रिपोर्ट को प्र्रकाशित करके लोगों के सामने लाना होगा। इससे निवेश एवं रोजगार के अवसरों के प्रति जनता की सोच सकारात्मक होगी।
वर्तमान में जो स्थितियां पैदा हो गई हैं, उन्हें पहचानते हुए प्रधानमंत्री को जल्द से जल्द निवेश को बढ़ाने के साथ रोजगार के अवसरों में वृद्धि के लिए कदम उठाने होंगे।
‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में प्रकाशित राजीव कुमार के लेख पर आधारित।
Related Articles
×