अर्थव्यवस्था को खड़ा करने के लिए संसाधान नहीं , राजनीतिक इच्छा-शक्ति चाहिए
Date:25-06-20 To Download Click Here.
महामारी के चलते भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत गिर चुकी है। यूं भी भारत के सकल घरेलू उत्पाद के विकास को दशकों से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में इसके और भी कम रहने की संभावना है। यह कर संग्रह को कम करेगा , सरकार की व्यय और विकास क्षमता को कम करेगा। कोई आश्चर्य नहीं कि बड़े राजकोषीय प्रोत्साहन के लिए भारत (इंक) के मजबूत दबाव के बावजूद , मोदी सरकार ने मुख्य रूप से ऋण गारंटी और तरलता समर्थन पर भरोसा किया है , क्योंकि डाउनग्रेड रेटिंग्स को आमंत्रित किए बिना राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कम करने के लिए बहुत कम जगह है। इस प्रकार , भारत मौजूदा आर्थिक पतन से बाहर नहीं निकल सकता। इसका मतलब यह भी नहीं है कि इस क्षेत्र में कुछ भी किया नहीं जा सकता। राजनीति मंशा हो , तो कुछ उपायों को अपनाया जा सकता है।
- निर्धनों को बिना किसी शर्त के सहायता राशि दी जाए। इसकी सीमा सरकार ही तय कर सकती है। सबसे अच्छा तो यह है कि सूक्ष्म , लघु व मझोले उद्योगों को सहायता दी जाए। ऋण के बोझ से दबी बड़ी कंपनियां तो त्रण को बराबर करने में ही धन लगाएंगी।
अब तक नकदी प्रवाह के मुद्दे के अलावा छोटे व्यवसाय तो फाइलिंग , लाइसेंसिंग और रिपोर्टिंग ( विशेषत : जीएसटी से संबंधित ) जैसे कई अनुपालन के बोझ से परेशान हैं। सरकार इन्हें कम कर सकती है। दो से तीन कर्मचारियों वाले एक माइक्रो एंटरप्राइज को मासिक , त्रैमासिक और वार्षिक जी एस टी के अलावा टी. डी.स. और आयकर रिटर्न भरने की क्या आवश्यकता है ? इन सबको न्यूनतम पर लाया जाना चाहिए।
- सरकार को ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट जैसे अनेक उद्योगों से संबंध रखने वाले उद्योगों की मदद पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। देश का ऑटोमोबाइल उद्योग बी ए एस-VI उत्सर्जन मानदंडों को अपनाने की हड़बड़ी में संघर्ष कर रहा है। सरकार को इसे शिथिल करने पर विचार करना चाहिए। इससे मौद्रिक या राजकोषीय प्रोत्साहन के बिना भी संघर्षरत ऑटोमोबाइल निर्माताओं , घटक आपूर्तिकर्त्ताओं और लाखों श्रमिकों को राहत मिलेगी।
- रियल एस्टेट को प्रोत्साहित करके इस पर निर्भर सीमेंट , स्टील , इलैक्ट्रिक सामान आदि उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
- ई-कॉमर्स पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा दिया जाना चाहिए। यह सभी प्रकार के निर्माताओं का समर्थन करके विकास इंजन को चालू रखने में मदद करेगा।
- कुछ आवश्यक दवाओं को छोड़कर दवाओं और चिकित्सा उपकरणों में मूल्य नियंत्रण को समाप्त कर देना चाहिए।
- इस समय सरकार को एक पूर्वानुमानित कारोबारी माहौल सुनिश्चित करने के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। निवेश , व्यापार और करों से संबंधित अप्रत्याशित नियम और अनुबंधों को लागू करने से निवेशकों को कठिनाई होती है। घरेलू और विदेशी निवेशकों के बीच भेदभाव न हो।
- कार्पोरेट कर में कटौती को अस्थायी तौर पर वापस लिया जाना चाहिए। इसके बजाय आयकर में कटौती हो। इससे मांग में इजाफा हो सकता है।
- आयात शुल्क बढ़ाने के बजाय रुपये की गिरावट को चुना जाना चाहिए। अगर डॉलर की तुलना में रुपया 80 भी हो जाए, तो यह अनावश्यक आयात को रोकेगा , स्वदेशी का समर्थन करेगा , और फिर निर्यात को प्रोत्साहित करेगा।
भारत में नए सिरे से आर्थिक सुधारों को अपनाने का यह अच्छा समय है। इन छोटे परन्तु महत्वपूर्ण उपायों के व्दारा सरकार अर्थव्यवस्था को संभाले रख सकती है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित रितेश कुमार सिंह के लेख पर आधारित। 9 जून , 2020