भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में पाश्र्व प्रविष्टियों (लेटरल एन्ट्री) की आवश्यकता
Date:22-08-17
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भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किए जाने की चर्चा काफी समय से चल रही है। परन्तु अभी तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया जा सका है। आखिर इन सेवाओं में अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों की इतनी आवश्यकता क्यों है?
- भारतीय प्रशासनिक सेवा का गठन भारत को एक प्रभावशाली देश बनाने के उद्देश्य से किया गया था। सन् 1991 में उदारीकरण की शुरूआत के साथ ही निजी क्षेत्र, गैर सरकारी क्षेत्रों का प्रभाव बढ़ता गया, क्योंकि इस दौरान सरकार की नीतियों में इन क्षेत्रों के साथ-साथ देश की जनता का एक बड़ा भाग सीधे-सीधे शामिल था। प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सरकारी नीतियों का आकलन उसके अंतर्गत रहकर ही करते हैं, परन्तु इनका आकलन गैर-सरकारी क्षेत्रों के लोगों से भी कराए जाने की आवश्यकता रही है।
- प्रशासनिक अधिकारियों की भर्ती बहुत ही कम उम्र में हो जाती है। इस समय तक वे पूर्ण रूप से प्रशासनिक दांव-पेंच और निर्णयात्मक क्षमता में खरे नहीं उतरते हैं। जबकि अन्य क्षेत्रों के अनुभवी विशेषज्ञ प्रशासनिक अधिकारियों की इस कमी को भरने का काम कर सकते हैं।
- इन सेवाओं में पदोन्नति स्वतः ही होती जाती है। ऐसे उदाहरण बहुत कम हैं, जब कार्यक्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण प्रशासनिक अधिकारियों को दंडित किया गया हो। अतः इन सेवाओं में की जाने वाली गौण भर्तियों सेय प्रशासनिक अधिकारियों में आगे बढ़ने की प्रतियोगिता की भावना आएगी।
- केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने समय-समय पर सलाहकारों के रूप में अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों को तदर्थ नियुक्ति पर रखा है। इनमें सी. रंगराजन एवं मोंटेक सिंह अहलूवालिया का नाम सफलता की सूची में सबसे ऊपर है। परन्तु ऐसे कुछ नामों की सफलता को अपवाद माना जा सकता है। अधिकांश तौर पर तो ऐसी निुयक्तियां प्रशासनिक अधिकारियों के लिए ईष्र्या का कारण बन जाती हैं। वे उन विशेषज्ञों को अपने तंत्र में शामिल नहीं होने देते। अतः गौण नियुक्तियों की शुरूआत एक व्यवस्थित तरीके से की जानी चाहिए।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा में अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों की भर्ती को संस्थागत तौर पर किया जाना चाहिए। इनकी उम्र 43-46 के बीच हो। संघ लोक सेवा आयोग इसके उम्मीदवारों के लिए परीक्षाओं का आयोजन करे, जिसमें इनकी निर्णयात्मक क्षमता, विश्लेषणात्मक कौशल और व्यक्तित्व की विशेषताओं को जाना जा सके।
- इन विशेषज्ञों के लिए 5-10 वर्ष की फील्ड पोस्टिंग अनिवार्य की जाए। ऐसी अनिवार्यता को स्वीकार करने वाला उम्मीदवार समर्पित और दृढ़ निश्चयी होगा।
- भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के चयनित अधिकारियों को खराब प्रदर्शन करने पर 15 वर्ष की सेवाओं के बाद पदमुक्त करन की व्यवस्था हो। इससे अधिकारियों पर दबाव बनेगा। साथ ही मध्यवृत्ति नियुक्तियों के लिए स्थान रिक्त हो सकेंगे।
- इस प्रक्रिया में प्रशासनिक अधिकारियों को नियत अवधि के लिए गैर-सरकारी क्षेत्रों में जाकर काम करने का अवसर मिले, जिससे वे पाश्र्व प्रविष्टियों से आए अधिकारियों के बराबर खड़े हो सकें।
पाश्र्व प्रविष्टियों के द्वारा सरकार को भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारियों के जोशीले और प्रयोगात्मक मस्तिष्क के साथ-साथ अनुभवी हाथ भी मिलेंगे। इन दोनों का संगम प्रशासन के लिए वरदान सिद्ध हो सकेगा।
‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में प्रकाशित दुवुरी सुब्बाराव एवं गुलजार नटराजन के लेख पर आधारित।