सिविल सेवा के लिए भूगोल की तैयारी

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20 May 2018
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डॉ०विजय अग्रवाल

राजनीति एवं इतिहास के बाद, जिनकी चर्चा इससे पहले की जा चुकी है, अब यहाँ सामान्य ज्ञान के तीसरे महत्वपूर्ण स्तंभ भूगोल की तैयारी करने के बारे में बात की जा रही है। इससे पहले कि सीधे तैयारी करने के तरीके पर आया जाये, बेहतर होगा कि हम उन दो व्यावहारिक मेड़ों को पहचानकर अपनी उस सीमा-रेखा का निर्धारण कर ले, जिसके अन्तर्गत रहकर यह तैयारी की जानी चाहिए। अन्यथा तैयारी करने का फोकस बिखर जाता है।

वे दो मेड़ें; जो इस विषय की तैयारी की सीमा का निर्धारण करते हैं, हैं-सिविल सर्विस द्वारा निर्धारित किया गया इस विषय का पाठ्यक्रम तथा प्री एवं मुख्य परीक्षा में इस पर पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या। हाँ, इस विषय पर तैयारी किस तरह से की जानी चाहिए, इसका निर्देशन अनसॉल्वड पेपर्स करते हैं। तो पहले मुख्यतः आरम्भ के दो बिन्दुओं को देख लेते हैं।

पाठ्यक्रम

प्रारम्भिक परीक्षा के लिए भूगोल का जो पाठ्यक्रम दिया गया है, वह मात्र नौ शब्दों का है-‘भारत एवं विश्व का प्राकृतिक, सामाजिक और आर्थिक भूगोल।’’ दरअसल, पाठ्यक्रम का यह संक्षिप्त रूप सिविल सेवा परीक्षा को अधिक जटिल, अत्यंत विस्तृत और सही में पूछिये तो उसे कुछ-कुछ डरावना भी बना देता है। यदि सैद्धांतिक रूप से देखा जाये, तो भूगोल के संबंध में अब तक का ज्ञात अधिकांश ज्ञान केवल इन नौ शब्दों में समाहित हो जाता है। जब आप इन नौ शब्दों पर आधारित पुस्तकें पलटना शुरू करेंगे, तो आपका दिमाग चकराने लगेगा। तो यहाँ सवाल यह है कि फिर आप करेंगे क्या? निराश न हों। इसका भी हल है।

इसका हल मुख्य परीक्षा के सिलेबस में है। उसमें भूगोल के लिए; जो सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्न पत्र का लगभग 40 प्रतिशत भाग घेरता है, तीन मुख्य बिन्दु दिए हुए हैं। मैं यहाँ उन बिन्दुओं को ज्यों का त्यों न देकर उसके सत्व को दे रहा हूँ। ये तीन बिन्दु हैं-

  1. विश्व का भौतिक (प्राकृतिक) भूगोल.
  2. विश्व के प्राकृतिक संसाधन; तथा
  3. प्राकृतिक आपदायें।

यदि आपका उद्देश्य अंततः सिविल सेवा परीक्षा को क्वालीफाई करना है, जो कि होगा ही, तो जाहिर है कि आपको भूगोल विषय की तैयारी मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अनुसार करनी चाहिए। ऐसे में प्रारम्भिक परीक्षा का सिलेबस अपने आप ही कवर हो जाता है।

पाठ्यक्रम के डिटेल्स को जानने की प्रक्रिया में निःसंदेह रूप से हमें अनसॉल्वड पेपर्स की उपेक्षा करने का दुस्साहस नहीं करना चाहिए। ये अनसॉल्वड पेपर्स प्री और मेन्स दोनों के होने चाहिए, और वे भी पिछले पाँच सालों के। इनसे हमें प्रश्नों के पूछे जाने की प्रकृति की जानकारी मिलती है। इस जानकारी के आधार पर हमें यह निर्णय लेने में मदद मिलती है कि है कि हमें पाठ्यक्रम से अलग भी किन-किन बातों पर ध्यान देना होगा। साथ ही यह भी कि कितना-कितना ध्यान देना चाहिए।

इन तीनों प्रमुख तथ्यों के प्रकाश में मैं यहाँ भूगोल के कुछ सर्वाधिक महत्वपूर्ण टॉपिक्स के बारे में बताना चाहूंगा।

– नक्शे के अध्ययन का ज्ञान- दिशायें, रेखायें, महाद्वीप, महासागर आदि।

भूआकृति का ज्ञान- पृथ्वी की आंतरिक संरचना, चट्टानें, भू-संचलन (भूकम्प, ज्वालामुखी आदि) प्लेट विवर्तनिकी एवं महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धांत।

– सौरमंडल- पृथ्वी के संदर्भ में।

– विश्व की जलवायु- भूमध्य-कर्क एवं मकर रेखायें, तापमान के विवरण को प्रभावित करने वाले कारक, विश्व का प्राकृतिक विभाजन (जलवायु के अनुसार), वायुमंडलीय दाब एवं वायु का संचरण, वर्षा।

– महासागर- परिचय, तापमान एवं लवणता, धारायें, प्रवाल भित्तियाँ, ज्वार-भाटा आदि।

– विश्व में प्राकृतिक संसाधनों एवं प्रमुख उद्योगों का वितरण।

– भारत के जलवायु प्रदेश, वनस्पति, मानसूनी जलवायु आदि।

– भारत का प्राकृतिक विभाजन।

– भारत की मृदा, ताप, वर्षा एवं फसलें।

– भारत की नदियां, सिंचाई जल परिवहन एवं अन्य।

– भारत के खनिज संसाधन एवं उद्योग।

-जनसंख्या एवं सम्बद्ध मुद्दे।

ये मुख्य टॉपिक्स हैं। आप जब इनकी तैयारी में लगेंगे, तो निश्चित रूप से आपकी मुलाकात इनसे सम्बद्ध अन्य कुछ सहायक टॉपिक्स से होगी। आपको उन पर भी थोड़ा ध्यान देना होगा। वैसे भी इन सहायक तथ्यों के अभाव में मुख्य टॉपिक्स को अच्छी तरह समझ पाना संभव नहीं होता है।

परीक्षा में भूमिका

यह विषय आपकी रुचि का है, या नहीं है, आपको यह बात बिल्कुल भूल जानी चाहिए। प्री एवं मेन्स में इससे जितने अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, उन्हें देखते हुए इस विषय की उपेक्षा करना आपके लिए पर्याप्त जोखिम भरा हो सकता है।

जहाँ तक प्री में भूगोल की भूमिका का प्रश्न है, इसमें काफी उच्चावच देखने को मिलता है। सन् 2017 में इससे केवल 8 (100 में से) तथा सन् 2016 में इससे भी कम केवल 6 प्रश्न पूछे गये। लेकिन इससे पहले के तीन सालों में भूगोल के प्रश्नों की संख्या क्रमशः 15, 22 और 16 रही है। वैसे मैं यहाँ यह बात आपको विशेष रूप से बताना चाहूंगा कि ऐसी ऊँच-नीच केवल भूगोल के साथ ही नहीं होती। यह प्री एक्जाम का एक पैटर्न ही है, जो किसी भी अन्य विषय के साथ घटित हो सकता है। ऐसा हाता रहता है।, और ऐसा लगभग हर साल ही होता है। इसलिए आपको इसके लिए हमेशा अपने-आपको तैयार रखना होगा। आप कोई ‘चांस’ नहीं ले सकते।

लेकिन मुख्य परीक्षा का परित्र काफी स्थिर है। उसमें विषयों के अनुसार अंकों का विभाजन थोड़े बहुत अंतर से हर साल लगभग समान जैसा ही होता है। सन् 2017 में जरूर भूगोल से सबसे कम 70 नम्बर (कुल 250 में से) के प्रश्न पूछे गये थे। उससे पहले के तीन सालों में इसका योगदान क्रमशः 100, 87.5 तथा 100 अंकों का रहा है। इस प्रकार आपको मानकर चलना चाहिए कि मुख्य परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र के कुल अंकों में न्यूनतम 35 प्रतिशत प्रश्न भूगोल से आते हैं, जो किसी भी मायने में कम नहीं हैं।

प्रश्नों की प्रकृति

 सिविल सर्विस की परीक्षा में जितने भी विषय हैं, उन सभी विषयों के प्रश्नों की प्रकृति एक जैसी नहीं होती। सच तो यह है कि किन्हीं भी दो विषयों की प्रकृति समान मालूम नहीं पड़ती है। और यह इस परीक्षा की व्यवस्थित तैयारी करने के लिए एक जबर्दस्त चुनौती प्रस्तुत करती है।

भूगोल के प्रश्नों की प्रकृति को हम प्री एवं मेन्स के संदर्भ में निम्न बिन्दुओं के आधार पर देखेंगे।

  1. प्रारम्भिक परीक्षा के प्रश्नों के मुख्य दो तरह के रंग देखने को मिलते हैं। इनमें से पहले का संबंध भूगोल विषय की मूलभूत समझ पर आधारित व्यावहारिक प्रश्नों से है। प्री में सीधे-सीधे न तो भूगोल के मूलभूत सिद्धांतों पर प्रश्न पूछे जाते हैं, और न ही उन पर आधारित सीधे-सीधे ज्ञान पर। प्रश्न इस तरह के बनाये जाते हैं, जिनसे उनके बारे में आपकी समझ को जाँचा-परखा जा सके। बात साफ है कि यहाँ रटने से बात नहीं बनेगी। विषय को समझना होगा, और वह भी व्यावहारिक स्तर पर जाकर।

 दूसरी तरह के प्रश्न समसामयिक घटनाओं पर आधारित होते हैं। भूगोल में करेंट अफेयर्स दो ही तरह के संभावित होते हैं। पहला स्थान को लेकर, तथा दूसरा प्राकृतिक आपदाओं को लेकर। स्थान (लोकेशन) को लेकर पूछे जाने वाले प्रश्न काफी सूक्ष्म अंतर वाले होते हैं। ये थोडे़ कठिन जरूर होते हैं। लेकिन यदि आपने एटलस को अपना अच्छा मित्र बना लिया है, तो सही-सही अनुमान लगाने में यह आपकी काफी मदद कर देता है।

 प्राकृतिक घटनाओं वाले प्रश्न अपेक्षाकृत सरल होते हैं। यदि आप सतर्कता के साथ न्यूज एवं न्यूज पेपर से जुड़े हुए हैं, तो आपके लिए ये प्रश्न सरल बन जाते हैं। अन्यथा केवल अनुमान के आधार पर इनके उत्तर पर निशान लगाना नुकसानदेह हो सकता है।

  1. मुख्य परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न बेहद दोस्ताना होते हैं। इसके अन्तर्गत कुछ प्रश्न तो ऐसे होते हैं, जिनके उत्तर आपको सीधे भूगोल की किताब में ही मिल जाते हैं। शेष कुछ प्रश्न (लगभग आधे) जरूर ऐसे होते हैं, जिनका आधार करेंट अफेयर्स होता है। लेकिन ये बहुत जटिल, कठिन एवं बहुत अधिक विश्लेषणात्मक किस्म के नहीं होते। कुछ तो ऐसे होते हैं, जिनक उत्तर आप भूगोल के सामान्य ज्ञान के आधार पर भी दे सकते हैं, बशर्ते कि आपने विषय को अच्छे से पढ़ा हुआ हो।

तैयारी का तरीका

 प्रश्नों की प्रकृति को जान लेने के बाद इस बात का निर्धारण कर पाना मुश्किल नहीं रह जाता कि तैयारी की किस प्रकार जानी चाहिए। फिर भी मैं यहाँ कुछ विशेष महत्व की बातें आपके ध्यान में लाना चाहूंगा।

  1. भूगोल को आप कभी भी नक्शे की सहायता के बिना न पढ़ें। आपको चाहिए कि आप स्थानगत तथ्यों को एटलस पर देखें ही देखें।
  2. भूगोल भले ही कला के विषयों के अन्तर्गत आता है, लेकिन है यह मूलतः विज्ञान ही। इसलिए आपको इसे विज्ञान की तरह पढ़ना चाहिए। यानी कि कारण-कार्य के संबंधों के आधार पर। इस विषय के प्रत्येक परिणाम का कोई न कोई निश्चित कारण होता ही है, जिसे आपको पकड़ना होगा।
  3. इस विषय के शुरू के कुछ चैप्टर इसके मूलभूत सिद्धांतों से सम्बद्ध होते हैं। इन सिद्धांतों पर आपकी बहुत अच्छी पकड़ होनी चाहिए। यदि आप पर्याप्त समय लगाकर धैर्य के साथ एक बार ऐसा कर लेते हैं, तो आप विषय के मास्टर हो जायेंगे। आपको इस विषय में मजा भी आने लगेगा। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि तब आप भूलने की आदत से मुक्त हो जायेंगे।
  4. भूगोल पर अधिक से अधिक किताबें पढ़ने के चक्कर में न पडं़े। एन सी ई आर टी की सभी किताबों के बाद कोई भी अन्य एक स्तरीय पुस्तक पर्याप्त होगी। आप माज़िद हुसैन साहब की पुस्तक पढ़ सकते हैं।
  5. भूगोल के विषय के टॉपिक्स से संबंधित यदि कोई महत्वपूर्ण घटना घटित होती है, तो आपको उस टॉपिक पर अपेक्षाकृत अच्छी तैयारी कर लेनी चाहिए।

ऐसा करके इस विषय में आप अपने लिए अच्छे अंक सुनिश्चित कर सकेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।