प्रीलिम्स के चार मुख्य खंडो की तैयारी के मंत्र

Afeias
09 Apr 2019
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वैसे तो प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का कोई निश्चित दायरा नहीं है। फिर भी इसकी दो मूलभूत प्रवृत्तियों को ध्यान में रखकर चार मुख्य विषयों की तैयारी करके इससे अतिरिक्त लाभ उठाया जा सकता है, खासकर तब तो और भी जब परीक्षा के कुछ गिने-चुने दिन ही बच गये हों। इन दो मुख्य प्रवृत्तियों में से एक को मैं सैद्धांतिक समझ तथा दूसरे को मैं उसका (सिद्धांत का) व्यावहारिक पक्ष कहना चाहूंगा।
आइये, हम इसे प्री के चार सबसे महत्वपूर्ण विषयों के संदर्भ में देखते हैं।

भूगोल – यदि आपने भूगोल के आधारभूत सिद्धांतों की समझ विकसित कर ली है (रट्टा मारना नहीं), तो इसका मतलब यह हुआ कि आपने स्वयं को इसके लगभग 60-70 प्रतिशत प्रश्न हल करने के लायक बना लिया है। इस पर एनसीईआरटी की बाकायदे 11वीं की एक स्वतंत्र पुस्तक है। इसके बाद आपको थोड़ी सी जानकारियां विश्व के भूगोल की तथा इससे लगभग दुगुनी जानकारी भारत के भूगोल की हासिल करनी होती है। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि मूलभूत सिद्धांतों का ज्ञान आपके लिए विश्व एवं भारत के भूगोल के ज्ञान को बहुत सरल बना देता है।

अर्थशास्त्र- इसकी भी स्थिति लगभग-लगभग भूगोल जैसी ही है, बशर्ते कि आप स्वयं को परीक्षा की अपनी जरूरतों तक सीमित रखकर इसकी जटिलताओं में उलझने से बचा सकंे। आपको केवल यह समझना है कि बाजार ही आपके लिए अर्थशास्त्र है, और दुनिया का यह बाज़ार किस प्रकार काम करता है। बाज़ार का संचालन एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध होकर एक चक्र के रूप में होता है। यानी कि आर्थिक जगत की कोई भी एक गतिविधि अपने पीछे एवं अपने आगे की गतिविधियों से जुडकर इसकी रफ्तार को तेज या मंद करती है। और एक बार गोलाकार स्वरूप ग्रहण कर लेने के बाद वह इसी में घूमती रहती है। मांग और पूर्ति का सिद्धंात इन समस्त गतिविधियों के केन्द्र में होता है।
यदि आपने अर्थशास्त्र के इस आंतरिक चरित्र को समझ लिया, तो आपको इस विषय से इश्क हो जायेगा। फिर आर्थिक जगत में रोजाना जो घटनायें हो रही हैं, उन्हें समझना मुश्किल नहीं रह जायेगा। इस प्रकार आप प्री की दोनों जरूरतों को पूरा कर सकेंगे।

राजनीति विज्ञान – प्री में तीन-चैथाई संविधान होता है, और एक चैथाई राजनीति विज्ञान, लेकिन इसका केवल वह भाग, जो संविधान को समझने में आपकी मदद करे। उदाहरण के तौर पर लोकतंत्र, पंथ निरपेक्षता, न्याय, समानता तथा समाजवाद जैसे शब्द आपसे केवल पारिभाषिक ज्ञान की ही अपेक्षा नही रखते। जब तक आप इन तथा इन जैसे ही कुछ अन्य महत्वपूर्ण; जैसे राज्य, सम्प्रभूता, संघीय व्यवस्था, विधि का शासन, शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत, संविधान की आत्मा तथा नागरिक के अधिकार जैसे शब्दों के चरित्र की अच्छी समझ नहीं रखेंगे, तब तक इस विषय पर पूछे गये कुछ प्रश्न सरल होने के बावजूद आपको चकमा दे जायेंगे। साथ ही संविधान के व्यावहारिक पक्ष से संबंधित प्रश्न भी आपके लिये कठिन साबित होंगे। इसमें एनसीईआरटी की पुस्तकें आपकी मदद कर सकेंगी।

इतिहास – मेरा विश्वास है कि आप इस विषय के साथ कम्फर्टेबल महसूस करते होंगे, क्योंकि इसमें समझने जैसा कोई बड़ा काम नहीं। प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत से कला, साहित्य एवं संस्कृति से ही जुड़े प्रश्न आते हैं, राजनीतिक नहीं। ऐसे प्रश्नों की शुरूआत आधुनिक भारत से होती है, और उसमें भी सबसे अधिक जोर सन् 1885 के बाद की घटनाओं पर होता है। चूंकि इस विषय में करेंट अफेयर्स की भी गुंजाइश नहीं रहती, इसलिए आप सीधे-सीधे पुस्तकों से भी तैयारी करके इसमें अच्छा स्कोर कर सकते हैं।

– डाॅ॰ विजय अग्रवाल
(आप पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं afeias.com के संस्थापक हैं।)

Note: This article of Dr. Vijay Agrawal was published in “Jagran Josh” dated 27-March-2019.

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