अखबारों से कैसे निपटें-3

Afeias
23 Apr 2014
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 कैसे पढ़ें?

अखबार पढऩे से संबंधित मुझे विचित्र-विचित्र स्थितियाँ देखने को मिली हैं। अखबार में पढ़ा कुछ, और बता कुछ और रहे हैं- यह एक स्थिति है। दूसरी स्थिति यह है कि अखबार में कुछ भी नहीं पढ़ा है लेकिन बता रहे हैं कि अखबार में पढ़ा था। तीसरी स्थिति यह देखने में आई है कि अखबार में पढ़ तो लिया है, लेकिन कह रहे हैं कि ‘मैंने पढ़ा ही नहीं।’ यदि कोई एक से अधिक अखबार पढ़ रहा है, तो किसी अखबार की बात किसी पर, तो किसी अखबार की बात किसी पर चस्पा कर देते हैं। यहाँ तक कि सीधे-सीधे मोटे अक्षरों में छपे स्पष्ट तथ्य भी गड़बड़ा जाते हैं। यह सब संकट इसलिए होते हैं क्योंकि अखबार पढऩे वाले इसे बहुत गम्भीरता से नहीं लेते। अन्य लोगों के साथ तो यह चल जाता है, लेकिन आपके साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा। यदि आई.ए.एस. की तैयारी में अखबारों का रोल 15-20 प्रतिशत होता, तब तो थोड़ा बहुत चल भी जाता। लेकिन जहाँ इनका रोल तीन-चौथाई हो गया हो, वहाँ इस तरह धक जाने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है। इसलिए जब तक आप आई.ए.एस. की तैयारी कर रहे हैं, कम से कम तब तक तो अखबारों को बहुत गम्भीरता से लें- सबसे अधिक गम्भीरता से।

यह अखबार पढऩे के तरीके का पहला चरण होगा। आपको अपनी मनोवैज्ञानिक स्थिति को बदलना पड़ेगा। दिमाग की यह विशेषता होती है कि उसे आप जैसा संकेत देते हैं, वह उसी हिसाब से खुद को तैयार कर लेता है। यदि अखबार आपके लिए चलताऊ तरीके के होंगे, तो दिमा$ग भी आपके पढ़े हुए को चलताऊ तरीके से लेगा। लेकिन यदि आपने उसके साथ गम्भीरता का व्यवहार किया तो आपका दिमाग आपके आज्ञाकारी सेवक की तरह आपके आदेश का पालन करेगा।

सम्पादकीय टिप्पणियों को आप कैसे पढ़ेंगे, इस बारे में मैं इससे पहले बता चुका हूँ। मैं सम्पादकीय टिप्पणी को पढऩे की कला को अखबार की सर्वोत्तम एवं सम्पूर्ण कला मानता हूँ। आमतौर पर पाँच मिनट से भी कम समय में पढ़ी जा सकने वाली सम्पादकीय टिप्पणी को आप पचास मिनट तक दे सकते हैं, बशर्ते कि आप उनके सन्दर्भों को जानना चाहें और उनमें कही गई बातों पर विचार करें। वैसे भी, सम्पादकीय टिप्पणियाँ ध्यान से पढऩे से कहीं अधिक चिन्तन एवं मनन की माँग करती हैं। आप इन पर जितना अधिक सोच-विचार करेंगे, उतनी ही अधिक गहराई तक उतरते चले जाएँगे।

अब यहाँ मैं कुछ अन्य उन छोटे-छोटे तरीकों की चर्चा करने जा रहा हूँ, जो अखबार पढऩे की आपकी पद्धति को अधिक व्यवस्थित और उपयोगी बना सकते हैं-

  • मैं पहले ही बता चुका हूँ कि अखबार के किन-किन पृष्ठों और समाचारों को आपको ध्यान से पढऩा है और किस तरह शेष पृष्ठों पर सरसरी निगाह ही डालना पर्याप्त है- सम्पादकीय लेखों एवं टिप्पणियों को छोड़कर। हाँ, यदि इन अखबारों में से एक अखबार आर्थिक है, तो उसके साथ ऐसा नहीं चलेगा। यहाँ ये पूरी तरह अलग-अलग हैं और आपसे समान व्यवहार की माँग करते हैं।
  • आपको अखबार पढऩा नहीं है, उसका अध्ययन करना है। इसलिए जब आप अखबार पढ़ें तो आपकी उंगलियों में बाकायदा पेन होना चाहिए, ताकि आप महत्वपूर्ण अंशों को अन्डरलाईन कर सकें। अन्डरलाईन करने का लाभ यह होता है कि वे अंश हमारे दिमाग में भी रेखांकित हो जाते हैं, जिसका सीधा सम्बन्ध इमेज को गाढ़ा करने से होता है। इसी बहाने आप उसे दोहरा भी लेते हैं। मुझे यह बात इसलिए ज़रूरी लगती है, क्योंकि एक किताब को आप कई-कई बार पढ़ते हैं और सालों वही किताब चलती रहती है। अखबारों के साथ मुश्किल यह है कि इन्हें रोज़-रोज़ पढऩा होता है और ये रोज़ अलग-अलग होते हैं। इस प्रकार ये अखबार हमारे दिमाग के सामने यह चुनौती खड़ी कर देते हैं कि कैसे इन बातों को अपने में सँजोए रखा जाए। इस चुनौती का मुकाबला आप अन्डरलाईन करके कर सकते हैं। इस पर मैंने प्रयोग किए हैं। इसलिए मैं आपसे यह बात कह रहा हूँ। हाँ, इस बात का ज़रूर ध्यान रखें कि हर खबर को अन्डरलाईन न करें, केवल महत्वपूर्ण खबरों के उन महत्वपूर्ण शब्दों को ही अन्डरलाईन करें, जो आपको ज़रूरी लगते हैं।
  • अखबारों के कुछ अंशों की कटिंग्स भी रखी जानी चाहिए, विशेषकर कुछ महत्वपूर्ण सम्पादकीय लेखों एवं टिप्पणियों की। लेकिन इनका ढेर न लगा लें। केवल उनकी ही कटिंग्स रखें जो आपको ज़रूरी लगते हैं, और इन लेखों को भी अन्डरलाईन करके रखें। बीच-बीच में इन्हें देखते भी रहें। आप पाएँगे कि कुछ महीनों बाद वे लेख जो कभी आपको महत्वपूर्ण लगते थे, अब पुराने और महत्वहीन लगने लगे हैं। इनके मोह में न पड़ें और इन्हें अपने से हमेशा-हमेशा के लिए दूर कर दें। यदि कटिंग्स की फाईल बहुत मोटी हो जाएगी, तो वह आपके किसी काम की नहीं रहेगी।
  • अखबारों के लिए आप एक अलग से डायरी या कॉपी बना लें। यदि आपको कोई बहुत महत्वपूर्ण तथ्य मिल रहा है, तो उसे नोट कर लें। मैं समाचारों को नोट करने की बात नहीं कह रहा हूँ, तथ्यों को नोट करने की बात कह रहा हूँ। तथ्यों से मेरा मतलब है- किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का महत्वपूर्ण विषय पर कथन, उपयोगी नए आँकड़े, कोई महत्वपूर्ण नाम, रिपोर्ट आदि। यहाँ भी जमघट न लगाएँ, अन्यथा वे आपके लिए व्यर्थ हो जाएँगे।
  • यदि आप कोई ऐसा समाचार पढ़ते हैं जिसमें कोई ऐसा सन्दर्भ है जिसे आप जानते नहीं, तो आलस्य न करें। उस सन्दर्भ को जानने की कोशिश करें। इसके बारे में मैं पहले भी बता चुका हूँ।
  • कोई भी घटना किसी-न-किसी स्थान पर ही घटती है। इसलिए जब भी कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय घटना घटे, उस स्थान को नक्शे पर अवश्य देखें। यह आपके लिए जादू का काम करेगी। यदि आप रोज़ाना यह करते रहे, तो तीन महीने के बाद की अपनी स्थिति की कल्पना भी नहीं कर सकते।
  • पूरा अखबार पढऩे के बाद कम से कम 15 मिनट आप पढ़े हुए के बारे में सोचने में लगाएँ। मन ही मन याद करें कि आपने आज क्या-क्या पढ़ा था। इस भ्रम में बिल्कुल न रहें कि ‘सब कुछ सरल था और मुझे याद है।’ आप सही हैं- यदि आप केवल आज के बारे में ही सोच रहे हैं तो, लेकिन आप पूरी तरह से गलत हैं- यदि आप एक महीने बाद के बारे में सोच रहे हैं तो। ये 15 मिनट लगाकर आप अखबार के साथ लगाए हुए अपने 90 मिनट सार्थक बना सकते हैं, अन्यथा वे भी बेकार हो जाएँगे।
  • इससे पहले मैंने कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को नोट करने की बात कही थी। उनका सम्बन्ध आँकड़ों एवं वक्तव्यों से था। यहाँ मैं इससे हटकर कुछ अन्य बातें कहने जा रहा हूँ। अक्सर विद्यार्थी पूछते हैं कि ”सर, क्या नोट्स बनाने चाहिए?” मुझे नहीं मालूम कि ‘नोट्स बनाने’ से उनका मतलब क्या होता है, लेकिन यदि उनका मतलब अखबारों से कुछ महत्वपूर्ण बातें नोट करने से है, तो मेरा उत्तर होगा कि ”हाँ, अवश्य।” इससे सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि आपके पास महत्वपूर्ण बातों का एक अच्छा संकलन हो जायेगा। आपको बार-बार पत्रिकाओं के पन्ने पलटने नहीं पड़ेंगे। इससे आपका समय तो बचेगा ही, उससे भी बड़ी बात यह होगी कि दिमाग में हॉचपॉच की स्थिति नहीं रहेगी। विषय के बारे में आपका दृष्टिकोण बिल्कुल साफ हो जायेगा। वैसे भी मैं आपको विश्वास दिलाना चाहूँगा कि सामान्य ज्ञान के लिए बहुत अधिक तथ्यों को जानना ज़रूरी नहीं होता। सबसे अधिक ज़रूरी होता है कि जिन तथ्यों को आप जानते हैं, उनका अच्छी तरह उपयोग करना आपको कितना आता है। यदि आप साल भर तक अखबारों की महत्वपूर्ण बातों को नोट करते रहें और उन्हें पढ़ते भी रहें, तो आप देखेंगे कि मुख्य परीक्षा के सामान्य ज्ञान के पेपर्स आपके लिए अब कितने आसान हो गए हैं। लेकिन यह ज़रूरी है कि आपको बार-बार पढ़कर इन बातों को अपने दिमाग में बनाए रखना होगा और इनका उपयोग करते रहने का अभ्यास भी करना होगा। मुझे नहीं लगता कि आई.ए.एस. जैसी प्रतिष्ठित और सबसे बड़ी सेवा में सफल होने के लिए यह कोई अधिक मेहनत की बात है।

आपकी सुविधा के लिए यहाँ मैं कुछ वे विषय और बिन्दु सुझा रहा हूँ, जो आपको अखबारों में अपनी ज़रूरत की बातों को समझने की दृष्टि प्रदान करेंगे। यहाँ मैं यह भी सलाह देना चाहूँगा कि आप बीच-बीच में प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के अनसॉल्व्ड पेपर्स देखना न भूलें। इससे आपको हमेशा एक ऐसा मार्गदर्शन मिलता रहेगा कि आप मर्यादित तरीके से अपनी तैयारी कर सकेंगे, अन्यथा बेकार में इधर-उधर भटकाव की आशंका बनी रहती है।

तो अब हम आते हैं उन कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर, जिन पर आपको विशेष ध्यान देना चाहिए-

  • सरकार की नई नीतियाँ और योजनाएँ, विशेषकर ग्राम्य विकास, गरीबी, स्वास्थ्य तथा शिक्षा आदि से जुड़े मूलभूत एवं सामाजिक कल्याण कार्यों संबंधित।
  • मूलभूत आर्थिक स्थिति से जुड़ी हुई बातें, जैसे आधारभूत ढाँचा, समय-समय पर बदलता हुआ आर्थिक परिदृश्य, बजट तथा उद्योग एवं कृषि से संबंधित नई-नई बातें।
  • संविधान से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य।
  • सरकार एवं महत्वपूर्ण आयोगों द्वारा प्रस्तुत ऐसी रिपोट्र्स जिनका नीति-निर्धारण पर व्यापक प्रभाव पड़ता हो।
  • प्रशासन से जुड़ी नई घटनाएँ, विशेषकर उसकी दक्षता के सम्बन्ध में।
  • विज्ञान की नई खोजें, विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी, अन्तरिक्ष, बॉयोटेक्नोलॉजी तथा चिकित्सा के क्षेत्र में होने वाले विकास।
  • आपदा प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएँ।
  • पर्यावरण से संबंधित नई समस्याएँ और समाधान आदि।

मैं यहाँ एक बार फिर से आपको सतर्क करना चाहूँगा कि आप अधिक बातें नोट करने के चक्कर में बिल्कुल भी न पड़ें। यदि आप ऐसा करेंगे, तो वे आपके किसी काम की नहीं रहेंगी। आपको केवल महत्वपूर्ण बातों पर ही ध्यान देना है, भले इस चक्कर में कुछ महत्वपूर्ण बातें ही क्यों न छूट जाएँ।

मुझे लगता है कि अखबारों के साथ किए जाने वाले व्यवहार के बारे में मैंने यहाँ जो कुछ भी बताया है, उससे आपके अन्दर अखबारों के बारे में बना हुआ भ्रम पूरी तरह नहीं तो काफी कुछ तो दूर हुआ होगा। यह अभी शुरुआत है। यहाँ केवल सिद्धान्त की बात हुई है। जब आप इन बातों को व्यवहार में लाएँगे, तो पाएँगे कि इस बारे में अब तक जो भी धुँध आपके दिमाग पर छाई हुई है, वह धीरे-धीरे छँट रही है। थोड़ा-सा समय ज़रूर लगेगा, लेकिन छँट जाएगी, विश्वास रखिए।

नोट : ऊपर दिया गया आर्टिकल जल्द ही आने वाली पुस्तक “आप IAS कैसे बनेंगे” से लिया गया है।

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