हिमनद या ग्लेशियर संबंधों की जरूरत
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हाल ही में इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट ने अपनी 2023 की रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि हिंदू कुश पर्वत के ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं। इससे संबंधित कुछ तथ्य और उनके प्रभाव –
- ऐसा अनुमान है कि सदी के अंत तक वे अपना 75% धनत्व खो देंगे।
- इससे नदियों के बहाव क्षेत्र में रहने वाले लगभग 2 अरब लोगों को बाढ़ और पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा।
- ऐसी चेतावनी का मतलब है कि इस क्षेत्र के भविष्य की सुरक्षा के लिए ग्लेशियरों की निगरानी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जानी चाहिए।
भारत के हालिया कदम –
- भारत के हिमालय क्षेत्र की सीमा चीन के साथ साझा होती है। ग्लेशियर के मामले में भारत सरकार ने हिमालयन डेटा साझाकरण समझौते के लिए संसदीय पैनल की सिफारिश को खारिज कर दिया है। इसका कारण राष्ट्रीय सुरक्षा बताया गया है।
- पिछली सरकार ने ग्लेशियर पर संयुक्त तंत्र का प्रस्ताव रखा था। इसे भी अस्वीकृत कर दिया गया है।
क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए सरकार को चाहिए कि वह राष्ट्रीय-सुरक्षा और पर्यावरणीय आर्थिक जरूरत के हिसाब से बीच का कोई रास्ता निकाले। इस क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा दे। क्षेत्र के महत्वपूर्ण देश होने के नाते भारत और चीन को संयुक्त अभियान चलाने की जरूरत है। वैसे भी भारत अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता में चीन के साथ खड़ा है। इस मामले में भी समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 26 दिसंबर, 2023
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