बढ़ती गर्मी से कैसे निपटा जाए
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पूरी दुनिया में गर्मी बढ़ती जा रही है। हाल ही में 17.23 डिग्री सेल्सियस औसत का रिकार्ड तापमान दर्ज किया गया है। गर्मी का तनाव मृत्यु दर में वृद्धि करता है। यह उत्पादकता को कम करता है। इससे काम के घंटों का नुकसान होता है। स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बढ़ती गर्मी के भारत पर प्रभाव को कुछ बिंदुओं में समझते हैं –
- एक अनुमान है कि 2050 तक, इसकी लागत भारत की जीडीपी के 2.8% तक होगी।
- बढ़ती आय के साथ और बढ़ती मांग के कारण एसी सहित कूलिंग सिस्टम की बिक्री में तेजी आएगी। आज 13% भारतीय घरों में एसी हैं। 2040 तक यह बढ़कर 69% हो जाएगा।
- कूलिंग से होने वाले ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का हिस्सा 2037 तक 7% हो जाएगा।
- एसी के उपयोग के बढ़ने से शहरी क्षेत्रों का तापमान बढ़ेगा तथा प्राकृतिक कूलिंग और बारिश का पैटर्न बदलेगा।
चुनौती का सामना कैसे हो ?
- शीतलन की बढ़ती आवश्यकताओं को इस प्रकार से पूरा किया जाना चाहिए कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि न हो। इस हेतू 2019 में इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान लॉन्च किया गया था। इसका लक्ष्य शीतलन में उपयोग होने वाली ऊर्जा की जरूरतों को 2037.38 तक 25.40% तक कम करना है।
- इसके लिए भवनों के डिजाइन, निर्माण सामग्री को इस प्रकार का रखा जाना है, जिससे ठंडी छतों का निर्माण किया जा सके।
- एक केंद्रीय कूलिंग इकाई के माध्यम से इमारतों को ठंडा किया जा सकता है। इससे ऊर्जा दक्षता आएगी और गत कम होगी। शहरों की योजना और निर्माण के तरीके में बदलाव से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 8 जुलाई, 2023
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