स्वास्थ्य सेवा का डिजीटलीकरण
Date:12-10-21 To Download Click Here.
भारत को स्वास्थ्य के मामले में बेहतर बनाने की दृष्टि से प्रत्येक नागरिक का इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड बनाने की घोषणा की गई है। यह हमें एक मोबाइल प्लेटफॉर्म पर मरीजों, मशीनों, प्रयोगशालाओं, नर्सों, तकनीशियनों और डॉक्टरों के बीच डेटा के निर्बाध आदान-प्रदान के साथ, अस्पताल में मरीजों के दस्तावेजों को रखने में मदद करेगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजीटल रिकार्ड रखने की दिशा में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पहल की थी। इसका उद्देश्य मरीज को दिए जाने वाले डॉक्टर के पर्चे की त्रुटियों को रोकना था। परंतु दुर्भाग्यवश उस समय यह तकनीक मौजूद नहीं थी। ‘आयुष्मान भारत डिजीटल हैल्थ मिशन’ के अंतर्गत इस योजना को साकार किया जा रहा है। इस पहल का तीन स्तरों पर सकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है-
- मृत्यु दर में काफी कमी आ जाएगी।
- स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में जबरदस्त सुधार होगा।
- स्वास्थ्य खर्च में कमी आएगी।
आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अन्य लाभ-
- यह स्वास्थ्य क्षेत्र में आने वाले भारतीय स्टार्ट अप के लिए वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य उद्योग का द्वार खोलेगा।
- इसके माध्यम से ही इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (ई एम आर) को देशव्यापी बनाया जा सकता है।
- इसके तहत दी जाने वाली डिजीटल स्वास्थ्य आईडी से रोगियों को अपने फोन पर मेडिकल रिकॉर्ड ले जाने में मदद मिलेगी। इसे डॉक्टर कहीं भी अपने कंप्यूटर पर देख सकते हैं। मरीजों को उन डॉक्टरों के साथ बातचीत करने में खुशी होगी, जो उनके ईलाज का पूरा रिकॉर्ड जानते हैं।
- किसी भी बीमारी की शुरूआत में ही डॉक्टर से ऑनलाइन परामर्श के जरिए समय पर ईलाज शुरू किया जा सकेगा। अस्पताल के मुश्किल दौरों के बजाय ऑनलाइन परामर्श एक सुखद अनुभव बन जाएगा।
- अधिकांश परीक्षणों की रिपोर्ट क्लाउड पर कहीं से भी उपलब्ध होगी। अतः रोगियों को महंगे और दर्दनाक परीक्षणों को दोहराने से बचाया जा सकेगा।
- डेटा एनालिटिक्स से ईएमआर पर क्लिनिकल निर्णय का सपोर्ट सिस्टम बन जाएगा। इससे वैकल्पिक निदान का सुझाव मिल सकेगा।
- झोलाछाप डॉक्टरों से मुक्ति मिलेगी। केवल पंजीकृत डॉक्टरों को ही डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन पैड पर दवा लिखने की अनुमति होगी।
- दवा के पत्तों पर बारकोडिंग से नकली दवाएं भी हट जाएंगी।
स्वास्थ्य जगत में होने वाली इस डिजिटल क्रांति के अनेक मंगलकारी परिणाम होने की उम्मीद की जा सकती है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित देवी शेट्टी के लेख पर आधारित। 28 सितंबर, 2021