विश्व आपूर्ति श्रृंखला में भारत के लिए अवसर
Date:11-06-20 To Download Click Here.
पिछले दिनों भारत सरकार के आर्थिक पैकेज का संबंध अर्थव्यवस्था को पुनगर्ठित और पुनर्जीवित करने से है। दूसरी ओर, बहुतराष्ट्रीय कंपनियों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। दरअसल, ये दोनों ही बिन्दु आपस में जुड़े हुए हैं। भारत की जनसंख्या् और उपभोक्ताओं की संख्या को देखते हुए वैश्विक विनिर्माताओं के लिए यह सदा ही लाभ और आकर्षण का केन्द्र बना रहा है। सरकार को चाहिए कि यह अर्थव्यवस्थाओ को वैश्विक निवेश का केन्द्र बनाने के लिए कुछ रणनीतिक कदम उठाए –
- बहुभाषी और ग्रामीण विकास के साथ भारत का आर्थिक विकास करना।
- क्षेत्रीय विकास के दृष्टिकोण को संतुलित रखना।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत के घरेलू बाजार को मजबूत करना , और इसका लाभ उठाना।
- कृषि का आधुनिकीकरण, मूल्यवर्धन और ग्रामीण आकांक्षाओं को आगे बढ़ाना।
इसका परिणाम दीर्घकालिक रोजगार और अन्य अवसरों के रुप में मिलेगा , जो बदले में ,अर्थव्यावस्था को गुणात्मक और व्यावसायिक रुप से मजबूत करेगा। फिलहाल, बहुराष्ट्रीय कंपनियां तीन ऐसी रणनीतियों पर काम कर रही हैं, जिसमें भारत एक केन्द्रीय स्थान रख सकता है।
- वे चीन के अलावा भी एक प्रमुख क्षेत्र की तलाश में हैं।
- यह स्थान चीन का विकल्प भी बन सकता है।
- कंपनियों को बड़े स्थानीय बाजारों और कम लागत के साथ ऐसा स्थान चाहिए, जिसमें वे बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकें।
भारत ने व्यापार में सुगमता के माध्याम से कुछ सुधार किए हैं, जिन्हें आगे बढ़ाने की जरुरत है। कृषि में संलिप्त बड़ी जनसंख्या को लेकर आगे सामूहिक कृषि को बढ़ाया जा सकता है। दूसरे, ऑटो विनिर्माण में भारत का विश्व में पांचवा स्थान है। इस उद्योग के सुधार , विश्व स्तर के पैमाने और गुणवत्ता तक बढ़ गए हैं। इसमें भी विदेशी विनिर्माताओं को अवसर दिए जा सकते हैं। आज विश्व में आपूर्ति श्रृंखला के लिए लागत से ज्यादा सुरक्षा जरुरी है। इसके लिए भारत उपयुक्त है। हमारे आई टी उद्योग ने महामारी के दौरान इसे प्रमाणित भी कर दिया है।
इनके अलावा वित्त मंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण , फार्मा , रक्षा, कपड़ा और इलैक्ट्रापनिक जैसे पाँच अन्य क्षेत्रों को चिन्हित किया है, जिनमें क्षेत्रीय विकास की अनियमितताओं को संतुलित किए जाने की आवश्यकता है।
इन सभी क्षेत्रों की आपूर्ति श्रृंखला में अगर भारत मजबूत स्थिति बना लेता है, तो उसे रोजगार के स्तर पर ऊपर उठने से कोई नहीं रोक सकता। इसका सीधा प्रभाव वित्तीय नियमितता के रुप में देखा जा सकेगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित एन. वेंकटरमन के लेख पर आधारित। 26 मई, 2020