पेरिस ओलंपिक में हमारा निराशाजनक प्रदर्शन

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21 Sep 2024
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चर्चा में क्यों ?

हाल ही में संपन्न हुए पेरिस ओलंपिक में भारत ने 5 कांस्य और 1 रजत जीता। भारत 84 देशों में 71 वें स्थान पर रहा। सबसे बड़ी आबादी वाले देश में 25 करोड़ लोगों पर हमने केवल एक पदक ही प्राप्त किया। जबकि प्रथम स्थान पर रहे अमेरिका ने 30 स्वर्ण सहित 126, चीन 96 पदकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। भारत ने जब से आधुनिक ओलंपिक शुरू हुए हैं, अब तक कुल 41 पदक ही जीते हैं।

इस दयनीय प्रदर्शन के कारण

  1. बुनियादी ढांचा –

हमारा खेलों का बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है। 2008 तक चीन में 3000 खेल संस्थान थे, जबकि 2024 में हमारे पास सिर्फ 150 खेल संस्थान हैं। इसमें 26 सार्वजनिक उपक्रमों के स्वामित्व में हैं। सन् 2023 तक चीन में 45 लाख से अधिक खेल-स्थल थे।

राज्यों के मध्य बुनियादी ढाँचे के लिए असमान धन का वितरण भी इसका एक कारण है।

  1. प्रशिक्षण –

खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए बच्चों को कम उम्र में ही उच्चतम गुणवत्ता के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। हमारे प्रशिक्षण की गुणवत्ता खराब है। यह नौकरशाही व लालफीताशाही से भी ग्रस्त है। इसलिए संपन्न परिवार के खिलाड़ी घर पर ही प्रशिक्षण लेना पसंद करते हैं जैसा; अभिनव बिंद्रा ने किया था।

क्रिकेट के प्रति हमारा जुनून

क्रिकेट के कारण हमारा अन्य खेलों में कौशल अवरूद्ध हो गया है।

  • पेरिस के 32 खेलों में हमने केवल 16 में प्रतिस्पर्धा की। जबकि चीन ने 30 में प्रतिस्पर्धायें की थी।
  • खेल प्रतिभाओं की पहचान और पोषण के लिए हमारा कैचमेंट एरिया भी सीमित और ज्यादातर शहरी है।

राजनीति और खेल का गठजोड़

कई खेल महासंघों के अध्यक्ष राजनेता हैं। जैसे कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह, जिन्होंने महिला पहलवानों का यौन उत्पीडन किया था और डराया-धमकाया भी था। इससे खिलाड़ियों का मनोबल टूटता है। ये नेता खेलों के लिए कुछ करते भी नही हैं।

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