भारत के लिए ब्रिक्स और क्वाड दोनों महत्वपूर्ण हैं
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भारत क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका) एवं ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथोपिया और संयुक्त अरब अमीरात) समूहों का संस्थापक सदस्य है। उसके लिए दोनों ही समूहों का अपना महत्व है।
क्वाड में भारत की भूमिका –
– क्वाड का उद्देश्य हमेशा से इंडो-पैथिफिक में बढ़ती चीनी घुसपैठ से सुरक्षा करना रहा है।
– भारत इसे और व्यापक स्तर पर ले जाते हुए तकनीकी-आर्थिक संरचना को भी जोड़ना चाहता है। यह समूह अब महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की पुर्नसंरचना और डिजिटल सहित कई क्षेत्रों में रणनीतिक आवश्यकता पर काम कर रहा है। कुल मिलाकर, क्षेत्र की सुरक्षा के लिहाज से विकास को भी जरूरी माना जा रहा है।
– भारत को समूह के देशों, विशेषकर अमेरिका से द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि के माध्यम से लाभ हुआ है।
– दूसरी ओर, आस्ट्रेलिया की परमाणु पनडुब्बियों से अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाया जा सका है।
– भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह समूह एशियाई नाटो नहीं है। और यह क्षेत्र की सुरक्षा एवं अन्य हितों के प्रति समावेशी दृष्टिकोण लेकर चलता है।
ब्रिक्स की संभावनाएं –
– ब्रिक्स की स्थापना बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार के लिए की गई थी।
– न्यू डेवलपमेंट बैंक और आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था जैसी ब्रिक्स की पहल अग्रणी रही हैं।
– चीन ने इस समूह का उपयोग ग्लोबल साउथ पर अपना प्रभाव जमाने और पश्चिम को पीछे धकेलने में ही किया है। क्वाड समूह के चलते रूस ने भी ब्रिक्स के महत्व को समझा है, और चीन के पीछे खड़ा हो गया है। अब समूह में भारत ही एकमात्र देश रह गया है, जो चीन को रोक सके। अतः भारत ने इसके विस्तार का समर्थन करते हुए कई देशों को सदस्य बनाया है।
– अब भारत को देखना यह है कि नए सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों की मधुरता के साथ-साथ चीन को नियंत्रण में रखने पर उनका सहयोग कैसे लिया जा सके। इसके लिए, भारत का जोर समूह में पारदर्शिता पर अधिक है।
साथ ही, इस समूह को सही दिशा में ले जाने के लिए भारत को अधिक सक्रिय भी होना होगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 जुलाई, 2024