हाल ही में संपन्न जी-7 शिखर सम्मेलन पर कुछ बिंदु
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- जी-7 को कभी दुनिया के सबसे विकसित लोकतंत्रों के एक गतिशील समूह के रूप में सराहा जाता रहा है।
- यहाँ इकट्ठे हुए राष्ट्राध्यक्ष वैश्विक वित्तीय और विकास के मुद्दों के वास्तविक समाधानों का प्रयास करते हैं।
- वर्तमान ‘जी-7 आउटरीच’ शिखर सम्मेलन में ‘पश्चिम बनाम शेष’ देशों की अवधारणा को खत्म करके, इसे अधिक समावेशी बनाने पर बल दिया गया है।
- इस सम्मेलन की उल्लेखनीय बात यह रही कि जी-7 ने यूक्रेन के लिए सैन्य बजट, मानवीय और पुनर्निर्माण सहायता चालू रखी। लेकिन युद्ध को समाप्त करने के लिए कोई रचनात्मक योजना नहीं बनाई।
- समूह ने गाजा युद्ध-विराम की अपील की, जिसे इजरायल ने नहीं माना।
- इंडो-पैसिफिक में चीन और औद्योगिक लक्ष्यीकरण व अन्य अनुचित कदमों पर बैठक में तीखे स्वर सुनाई पड़े। लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि कोई सदस्य देश चीन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को कम करता है या नहीं।
- भारत-मध्यपूर्व-यूरोप कॉरिडोर सहित आठ बुनियादी ढाँचे के गलियारे के लिए फिर से प्रतिबद्धता जताई गई।
- भारत के लिए इस बैठक का कोई खास परिणाम नहीं निकला है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के चुनावों को ‘लोकतांत्रिक दुनिया की जीत’ के रूप में रेखांकित किया। वैश्विक असमानताओं को पाटने के लिए प्रौद्योगिकी और एआई के उपयोग के महत्व पर बात की। विश्व के दक्षिणी हिस्से, विशेषतौर पर अफ्रीका के महत्व को बताया।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 19 जून, 2024
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