तटीय आर्थिक क्षेत्र का प्रस्ताव (Coastal Economic Zones)
To Download Click Here
नीति आयोग ने भारत में शेन्जेंग (चीन) की तर्ज पर तटीय आर्थिक क्षेत्र (CEZS) बनाने की सिफारिश की है। इसके लिए संबद्ध राज्य सरकारों को भूमि व श्रम कानूनों में कुछ बदलाव करने होंगे। तटीय क्षेत्रों के आर्थिक विकास के लिए केंद्र सरकार उन्हें कर में बहुत राहत देगी। तटीय आर्थिक क्षेत्र से जुड़ी कुछ आशंकाएं हैं, जिनको देखते हुए नीति आयोग के इस कदम की सफलता में संदेह लगता है।
- नीति आयोग ने शायद विशेष आर्थिक क्षेत्रों (CEZ) की असफलता को नजरंदाज कर दिया है। विशेष आर्थिक क्षेत्र भारत की आर्थिक नीतियों के अनुकूल नहीं थे और विफल हो गए।
- नीति आयोग की इस योजना के पीछे निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बड़े उत्पादकों को आकर्षिक करना है। परंतु इसे समस्त राष्ट्र में लागू न करके कुछ विशेष क्षेत्रों को कानूनी एवं कर में राहत देने का स्वागत शायद नहीं किया जा सकेगा।
- भारत जैसे सस्ते श्रम प्रधान देश में बड़े उत्पादकों को विशेष क्षेत्र के नाम विशेष छूट देने के नुकसान का एहसास जब उपभोक्ताओं को होगा, तब वे अवश्य ही इन विशेष क्षेत्रों का विरोध करेंगे।
- दिल्ली-मुंबई जैसे व्यावसायिक क्षेत्रों में शहरीकरण के विकास के लिए पहले ही योजनाएं क्रियान्वयन के करीब हैं। ऐसे में (CEZ) पर समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। अभी भारत को नय नगरों की आवश्यकता है। अतः हमारा ध्यान शहरीकरण को बढ़ावा देने वाली नई नीतियों पर होना चाहिए। जैसे आंध्र प्रदेश में नई राजधानी के निर्माण के लिए जिस तरह से लैंड-पूलिंग के द्वारा बिना किसी विवाद के भूमि उपलब्ध करवाई गई, वह प्रशंसा के योग्य है।
हमारे देश को तटीय आर्थिक क्षेत्रों से अधिक आवश्यकता एक मजबूत बुनियादी ढांचे, त्वरित गति के काम करने वाले प्रशासन एवं उचित कर प्रणाली की है।
‘इकॉनॉमिक टाइम्स’ के संपादकीय पर आधारित।
Related Articles
×