एआई को नियंत्रण में रखने के लिए विनियमन जरूरी है
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– हाल ही में सियोल (द.कोरिया) में एआई विनियमन पर दूसरा वैश्विक शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ है।
– इस सम्मेलन में तकनीकी कंपनियों ने एआई के विकास के साथ ही बुनियादी सुरक्षा उपायों को लागू करने के अपने इरादे की पुष्टि की है। सरकारों के पास ऐसे निरीक्षण संस्थान हैं, जो एआई से उत्पन्न खतरों का निरीक्षण कर सकें। वे एआई के लिए निषिद्ध क्षेत्रों का सीमांकन करने में भी सक्षम हैं।
– इससे आगे विभिन्न देशों की सरकारों के बीच विनियमन को सुसंगत बनाना है। यह दूरदृष्टि इसलिए, क्योंकि फिलहाल एआई पर बनाए गए विनियमन में दम नहीं है।
– एआई विनियमन के दृष्टिकोण के दो तरीके हैं। पहला, उपयोग के मामलों में नियम लागू करना होगा। उदाहरण के लिए चिकित्सा में एआई के विकास को स्वास्थ्य उद्योग के लिए मौजूदा और कुछ नई नियामक स्थितियों के अनुरूप बनाना होगा। इस मॉडल का उपयोग अन्य क्षेत्रों के लिए किया जा सकता है। सरकारें, इनमें से हर एक क्षेत्र में सहयोग करके वैश्विक नियमों का एक सेट तैयार कर सकती हैं।
दूसरा, सोर्स पर ही एआई के विकास को नियंत्रित करना है। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो एआई में सभी उपयोग के मामलों में विनियमन को मात देने की शक्ति विकसित की जा सकती है। इस पर तकनीक निर्माता और कानून निर्माता अलग-अलग दृष्टिकोण रख रहे हैं।
एआई के मामले में सरकारें पारदर्शिता और प्रशासन को साथ लेकर चल रही हैं। इन्हें कानूनी ढांचे में लाने की प्रतीक्षा है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 30 मई, 2024