व्यापार नीति में बदलाव से जुड़े कुछ बिंदु
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- वैश्विक विनिर्माण मानचित्र पर चीन की जगह लेने की अपनी महत्वाकांक्षा पर भारत ने 2020 से काम करना शुरू कर दिया है।
- भारत आरटीए या रिजनल ट्रेड एग्रीमेंट की रणनीति को अपनी आर्थिक सक्रियता सहभागिता के केंद्र में रखकर चल रहा है।
- चीन से इतर विनिर्माण इकाईयां लगाने के कार्यक्रम का नाम ‘चाइना प्लस वन’ है। इसके तहत अनेक देश वियतनाम को विकल्प बनाते रहे। इसका कारण आरटीए था।
- अभी तक भारत की आर्थिक साझेदारियां अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के साथ अनुबंधों पर केंद्रित थी।
- अब भारत ने अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशियाई देशों के साथ आरटीए पर साझेदारी बढ़ाना शुरू किया है। 2020 के बाद से कई विकसित देशों के साथ आरटीए और मुक्त व्यापार समझौते किए जा चुके हैं। आस्ट्रेलिया के साथ हुआ समझौता उल्लेखनीय कहा जा सकता है। यूएई के साथ भी कई समझौते हुए हैं। इन समझौतों का लक्ष्य पांच वर्षों में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। यूरोपीय संघ के साथ समझौता भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
लाभ –
- बदलती व्यापार नीति से आर्थिक वृद्धि की गति तेजी से बढ़ेगी।
- विकासशील देश भारत को विकसित देशों के समृद्ध बाजारों तक पहुँच मिलेगी।
- विकसित बाजारों से जुड़ाव हमारे नवाचार को आगे बढ़ाएंगे। इससे प्रतिस्पर्धा क्षमता भी बढ़ेगी।
- आर्थिक विविधीकरण एवं वृद्धि को बढ़वा मिलेगा।
- विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन की आशा है।
कुल मिलाकर व्यापार में तेजी, विदेशी निवेश में बढ़ोत्तरी, रोजगार सृजन के स्तर पर बेहतर स्थितियां बनने के साथ ही वैश्विक व्यापार नेटवर्क पर भारत की पकड़ भी मजबूत बनेगी।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 12 मार्च, 2024
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