वायस क्लोनिंग
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आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस से उत्पन्न वायस क्लोनिंग अब डीपफेक के रूप में दुनिया के सामने नई चुनौतियां प्रस्तुत कर रहा है। भारत सहित पूरे विश्व में साइबर अपराधी धन ऐंठने के लिए इसका उपयोग करने लगे हैं।
वायस क्लोनिंग एक ऐसी एआई तकनीक है, जो हैकर्स को किसी भी आडियो रिकार्डिंग लेने, उनकी आवाज पर एआई टूल को प्रशिक्षित करने और उसे फिर से बनाने की सुविधा देता है।
1990 के दशक के अंत में जब यह प्रौद्योगिकी सामने आई थी, तब इसका उपयोग एआई विशेषज्ञों तक ही सीमित था। किन्तु पिछले कुछ वर्षों में यह तकनीक इतनी सस्ती और सुलभ हो गई है कि अब कोई भी इसका उपयोग कर सकता है।
इसके लिए बातचीत की पाँच मिनट की क्लिप की आवश्यकता होती है। हैकर्स किसी फोन काल या यहाँ तक कि इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियों से भी ऑडियो ले सकते हैं।
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