विश्व व्यापार में टिके रहने के लिए कृषि-सुधार जरूरी
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कृषि-सुधार कानून की पराजय के बाद भारत के समक्ष कठिन चुनौती खड़ी है कि वह कृषि के तरीकों में कैसे बदलाव लेकर आए, ताकि इसे पर्यावरण अनुकूल बनाते हुए लाभ का सौदा बनाए रखा जा सके। ऊपर से विश्व व्यापार संगठन की लटकती तलवार के संदर्भ में भी किसानों को नए तरीकों की जानकारी देना आवश्यक हो गया है। कुछ बिंदु –
- वैश्विक व घरेलू बाजार में टिके रहने के लिए मांग आधारित कृषि पर बल देना होगा।
- हाल ही में विश्व व्यापार संगठन में ब्राजील, ग्वाटेमाला और आस्ट्रेलिया ने भारत के गन्ना और चीनी उत्पादकों को दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर विरोध दर्ज किया है।
ज्ञातव्य हो कि भारत से विश्व बाजार में सालाना 60 से 80 लाख टन चीनी का निर्यात होता है। अगर वर्ष 2023 के बाद भी सब्सिडी की उच्च दरों को जारी रखा गया, तो भारत को चीनी निर्यात में बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
- कृषि को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए प्राकृतिक खेती की ओर रुझान बढ़ना चाहिए। यह दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन पृथक्करण कार्यक्रम बनने की क्षमता रखती है। इसमें पानी की खपत भी 30 से 60% तक कम हो जाती है। उत्पादक सामग्रियों की लागत कम होने के साथ-साथ, शून्य रासायनिक इनपुट और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए लगातार मिलने वाली बेहतर कीमतों के कारण, शुरूआती चरणों में भी किसानों की शुद्ध आय में बढ़ोत्तरी होती है। देश के 11 राज्यों में खेती के इस तरीके को अपना चुके लगभग 30 लाख किसानों का ऐसा ही अनुभव रहा है।
- कृषि सुधार कानूनों के मद्देनजर किसानों ने मध्य जनवरी में सरकार के साथ अपने समझौते की प्रगति की समीक्षा करने का संकल्प लिया है। उनकी प्रमुख मांग, सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी है। इसके कवरेज को बढ़ाने के सवालों को एक समिति पर छोड़ दिया गया है। भारतीय कृषि क्षेत्र को राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं और बाजार संबंधों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है। समर्थन मूल्य का कवरेज बढ़ाने से पंजाब और हरियाणा के किसान शायद गहन सिंचाई और महंगे चावल को छोड़कर, विविध फसल पैटर्न को अपनाने के लिए प्रोत्साहित हो सकें। पानी की प्रचुरता वाले क्षेत्र उपयुक्त फसलें अपना सकते हैं।
फसलों के पारिस्थितिक रूप से उपयुक्त भौगोलिक प्रसार के लिए उन फसलों और क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, जो पीछे छूट गए हैं। कृषि आय को बढ़ाना सभी राजनीतिक दलों का एक साझा उद्देश्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु किसानों को कृषि सुधार के लाभों को समझाकर तैयार करना होगा, तभी भारत का किसान विश्व व्यापार में पहुंचकर लाभ कमा पाएगा।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित।