विश्व व्यापार संगठन की कमजोर स्थिति

Afeias
22 Jun 2021
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Date:22-06-21

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वर्तमान दौर में ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम या वैश्विक व्यापार व्यवस्था चरमरा रही है। वैश्विक व्यापार का सीधा संबंध विश्व व्यापार संगठन से है, जिसकी नींव 1995 में इस उद्देश्य से रखी गई थी कि यह विश्व के देशों के बीच व्यापार में अधिकाधिक सुगमता ला सकेगा। किसी विवाद की स्थिति में उन्हें सुलझा भी सकेगा। संगठन में एक डिस्प्यूट सेटलमेंट बॉडी का गठन किया गया, जो विवाद के निपटारे के लिए एक पैनल का गठन करे। यह पैनल मामले की जाँच पड़ताल के बाद अपना निर्णय सुना सकता है। निर्णय से असहमत होने पर कोई भी पक्ष अपीलीय निकाय की शरण ले सकता है। इसका निर्णय अंतिम व मान्य होता है।

विश्व व्यापार संगठन में समस्या कहाँ है ?

संगठन के अपीलीय निकाय में सात सदस्यों को चार वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता रहा है। इनमें से तीन की उपस्थिति को कोरम पूरा करने के लिए जरूरी माना जाता है।

कुछ समय पूर्व इसके समक्ष आए मामलों में दिए गए निर्णयों से अमेरिका क्षुब्ध हो गया है। अब वह सेवानिवृत्त सदस्यों के स्थान पर नए सदस्यों की नियुक्ति न होने देने के लिए वीटो का प्रयोग कर रहा है। कोरम पूरा न होने से विवाद सुलझाए नहीं जा रहे हैं।

दूसरे, अमेरिका और चीन जैसे सदस्यों की दादागिरी से संगठन अपने नियम लागू नहीं कर पा रहा है। इस मामले में अमेरिका का पलड़ा भारी है। और यदि चीन को केंद्र में रखकर देखें, तो अमेरिका संगठन के विवाद-समाधान निकाय से नाराज है।

चीन के बौद्धिक संपदा अधिकार, औद्योगिक नीति, उद्यमिता नीति और सब्सिडी आदि पर बने नियमों के उल्लंघन के चलते संगठन के लिए चीन से निपटना नामुमकिन होता जा रहा है।

तीसरा कारण कुछ विकासशील देशों को दिए गए दर्जे के प्रति अमेरिका की नाराजगी है। इनमें भारत, ब्राजील और चीन हैं।

सभी विवादों के निराकरण के लिए विश्व व्यापार संगठन के नियमों पर फिर से बातचीत किए जाने की जरूरत है। यह फिलहाल रुकी हुई है, और इसमें समय भी लग सकता है।

यदि भारत की स्थिति की बात करें, तो भारत का कपड़ा निर्यात और व्यावसायिक सेवा निर्यात क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। इन विषम परिस्थितियों में भारत ने यू. के. और यूरोपियन यूनियन से मुक्त व्यापार समझौता करके इस आशंका को काफी कुछ खत्म कर दिया है। यूरोप के इन बड़े बाजारों से भारत को बहुत लाभ पहुंचने की उम्मीद है। भारत को आयात-प्रतिस्थापन की नीति को जारी रखने के बजाय अपने उच्च टैरिफ वाले पत्ते खोलने चाहिए।

विश्व व्यापार संगठन की मजबूती की स्थिति तक सदस्य देशों से उम्मीद की जा सकती है कि वे अभी तक चल रही बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के नियमों के लाभ के महत्व को समझते हुए अपने दायित्वों एवं प्रतिबद्धताओं का पालन करते रहेंगे।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अरविंद पनगढिया के लेख पर आधारित। 27 मई, 2021