विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार की जरूरत क्यों है ?
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हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे वैश्विक कोविड-19 शिखर सम्मेलन में देशों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए एक बार फिर स्वास्थ्य संगठन में सुधार के बहुचर्चित मुद्दे को उठाया है। नोवल कोरोना वायरस की उत्पत्ति और फैलाव पर विश्व एजेंसी को स्वतंत्र जांच करने की अनुमति देने में की जाने वाली चीन की अनिच्छा और देरी को देखते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
सुधार के कुछ मुख्य आधारों पर एक नजर –
- संगठन को मजबूत बनाने का प्रयास, पहले सदस्य देशों द्वारा अनिवार्य फंडिंग में वृद्धि के साथ शुरू किया जाना चाहिए। कई वर्षों से यह योगदान स्वैच्छिक तरीके से किया जा रहा है। यह संगठन के बजट का चैथाई भी नहीं ठहरता है। इससे संगठन के कार्यों के स्तर को बनाए नहीं रखा जा सका है।
- संगठन को ऐसा अधिकार प्रदान किया जाना चाहिए कि वह सदस्य देशों से मानदंडों का पालन करवा सके। इससे देश वैश्विक नुकसान का कारण बनने वाली बीमारी के प्रकोप के मामलों में समय रहते संगठन को सचेत कर सकें।
अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों के तहत सदस्य देशों से सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थितियों की पहचान करने, रिपोर्ट करने और प्रतिक्रिया देने की उम्मीद की जाती है। परंतु ऐसा न करने पर उन्हें अभी तक दंड का सामना नहीं करना पड़ा है। भविष्य के लिए इसे बदलना होगा, और देशों को जवाबदेह बनाना होगा।
- टीके की मंजूरी पर संगठन की प्रक्रियाओं की समीक्षा की मांग की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की इस मांग का आधार, भारत में तैयार कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग सूची या ईयूएल में देरी से अनुमोदन देना है।
हालांकि इस मांग का आधार वैध नहीं है, क्योंकि निर्माता कंपनी द्वारा वैक्सीन से संबंधित प्रस्तुत डेटा अपूर्ण था।
कुल मिलाकर, वैश्विक स्वास्थ्य निकाय को मजबूत करने के लिए सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। वैश्विक समुदाय को होने वाले नुकसान को सीमित करने के लिए इसका सक्षम होना मानव हित में है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 14 मई, 2022