
विनिर्माण क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने का समय
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हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति ने ‘मुक्ति दिवस’ के नाम पर कुछ देशों पर टैरिफ लगा दिया है, जिसमें भारत, कनाडा, मैक्सिको और चीन भी शामिल हैं। इस टैरिफ का प्रभाव अमेरिका पर भी पड़ेगा। साथ ही उन देशों पर भी पड़ेगा जो अमेरिका से व्यापार नहीं करते हैं, क्योंकि जो देश अमेरिका से व्यापार करते है, वे अब दूसरे देशों में बाजार तलाशेंगे।
टैरिफ का अर्थ –
हम जिन वस्तुओं का निर्यात करते हैं, उन पर लगने वाला आयात शुल्क ही टैरिफ है।
टैरिफ के प्रति विश्व की प्रतिक्रिया –
- कुछ देश अमेरिकी सामान पर जवाबी शुल्क के द्वारा कार्यवाही कर रहे हैं; जैसे- चीन। चीन विनिर्माण क्षेत्र के कारण बड़ी आर्थिक ताकत है।
- भारत जैसे देश वार्ताओं के द्वारा हल निकालने की कोशिश कर रहें, क्योंकि हमारे विनिर्माण के क्षेत्र में किए गए प्रयास सफल नहीं हुए है।
- कुछ देश शुल्क घटा भी रहे हैं।
भारत का विनिर्माण क्षेत्र कमजोर क्यों ?
- हम विदेशी वस्तुओं का मुकाबला नहीं कर पाते हैं। हमारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि निर्यात आधारित न होकर देश के भीतर निजी खपत पर आधारित है।
- भारतीय कंपनियों में न आकार बढ़ाने की महत्वाकांक्षा है और न ही अत्याधुनिक विनिर्माण संयंत्रों को अपनाने की प्रतिस्पर्धा।
- हम गुणवत्ता व लागत में विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते।
- जमीन अधिग्रहण में आने वाली परेशानियाँ, ज्यादा बिजली का खर्च, अनेकों अनुमतियाँ लेना तथा भारी माल ढुलाई लागत भी इसकी वजह है।
- देशी कंपनियों के पक्ष में नियमों के अधिक झुकाव के कारण कम प्रतिस्पर्धा होना भी इसका कारण है।
भारत में समय-समय पर राष्ट्रीय विनिर्माण नीति, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी नीतियों की घोषणा हुई है, जिनका उद्देश्य G.D.P. में विनिर्माण की हिस्सेदारी 25% करना है, जो अभी 13-14% है। विश्व निर्यात में 2% ही विनिर्माण क्षेत्र योगदान करता है। इसी कारण भारत चाइना प्लस (विनिर्माण के लिए चीन के अलावा दूसरा देश) नीति का भी लाभ नहीं उठा पा रहा है। हम अपने बड़े बाजार का भी लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
उदारीकरण से पूर्व उद्योगों को विस्तार न करने की नीति सही थी। लेकिन अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा है। इसीलिए हमें अपनी पहले की नीतियाँ छोड़नी होंगी। यदि हम विश्व की बड़ी आर्थिक शक्ति बनना चाहते हैं, तो इस क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं का समाधान खोजना ही होगा।