विकासोन्मुख शहर

Afeias
11 Jan 2021
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Date:11-01-21

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भारत में बढ़ती शहरी आबादी के साथ उसके विकास की चुनौती है। यह केवल शहरों के रूपांतरण से ही नहीं जुडी है, बल्कि इसमें प्रतिदिन जुड़ने वाले लोगों के जीवन-स्तर को सुधारना भी एक बडा मुद्दा है।

  • शहरों में नगर निकायों के आय के संसाधनों को बढाने के उद्देश्य से म्यूनिसिपल बांड योजना चलाई जा रही है। हाल ही में इस योजना को अंगीकृत करने वालों में लखनऊ नौवां शहर बना है। इसे ‘अटल मिशन फॉर रेजूवनेशन एण्ड अर्बन ट्रांसफार्मोशन’ ( एएमआरयूटी ) के अंतर्गत चलाया जा रहा है। इससे नगर निकायों को वित्तीय मदद मिलने से प्रशासन में सुधार शहरों को आत्मनिर्भर बनाने और नगरों के बुनियादी ढांचों का विकास किया जा सकेगा।
  • सरकार का उद्देश्य है कि नई तकनीक और ‘मार्केट फाइनेंस एक्सेसिबिलिटी’ के माध्यम से शहरों का विकास किया जाए।
  • शहरी निकायों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के नए सोपान बनाने, आवश्यक बुनियादी ढांचों का विकास करने तथा स्थानीय विशेषज्ञता पर निर्भर रहने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • अनेक शहरों में ‘ईज ऑफ डुईंग बिजनेस’ को सुविधा प्रदान करने के लिए ऑनलाइन बिजनेस पर्मिशन सिस्टम को ऑपरेशनल बनाया गया है। इससे पेपरलैस अनुमति और बिल्डिंग पर्मिशन में बढ़ोत्तरी होगी।
  • ‘द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप’ ( टीयूएलयूपी ) और ‘स्मार्ट सिटी इनोवेशन चैलैंज’ की भी शुरूआत की गई है।
  • स्मार्ट सिटी मिशन के अतंर्गत ‘इंटीग्रेडेड कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर’ शुरू किए गए हैं। इससे कोविड-19 के प्रबंधन में काफी सहायता मिली है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ सेवा के लिए ज्योग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम मैपिंग और टेलीमेडिसिन सेवाओं के इस्तेमाल पर भी काम किया जा सका है।

कोविड-19 के दौरान ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के चलते होने वाली शहरों की सफाई का भी महत्व सामने आया है। लोगों के बीच किसी कार्यक्रम को सफल करने के लिए एक नेटवर्क बना लेने की क्षमता का उदय हुआ है। इन सबके साथ एक गरिमामय और सुरक्षित शहरी भविष्य का सपना साकार करने की उम्मीद की जा सकती है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित हरदिप सिंह पुरी के लेख पर आधारित। 17 दिसम्बर, 2020