पी. एम. वाणी कार्यक्रम

Afeias
12 Jan 2021
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Date:12-01-21

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हाल ही में प्रधानमंत्री ने वाई फाई एक्सेस नेटवर्क से जुड़ी पी एम डब्ल्यू ए एन आई या ‘वाणी योजना’ की शुरूआत की है। इसे पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीमेटर्स के द्वारा पब्लिक वाई फाई नेटवर्क प्रदान करने हेतु शुरू किया गया है।

कुछ तथ्य

  • योजना के बाद अब पूरे देश में कहीं भी वाई-फाई ब्राडबैंड कनेक्शन प्राप्त किया जा सकता है।
  • यह भारत के डिजीटल विभाजन को भरने के लिए एक कड़ी का काम करेगा।
  • हाल ही में नीति आयोग ने बताया है कि भारत चाहे तो डिजीटल तकनीक के सहारे 2025 तक एक खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुँच सकता है।
  • टेलीकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार 54% भारतीय जनता को इंटरनेट की सुविधा प्राप्त है।
  • शहरी आबादी की तुलना में आधी ग्रामीण आबादी को इंटरनेट की सुविधा प्राप्त है।

इंटरनेट के बढ़ते जाल का उदाहरण ‘उमंग’ एप है। ‘यूनिफाइड मोबाईल एप्लीकेशन फॉर न्यू एज गवर्नेंस’ ने अनेक सरकारी विभागों को इंटरनेट से जोड रखा है।

डिजटलीकरण के साथ ही अगर हम इसका विस्तार नहीं करते हैं, तो जनता का एक बड़ा भाग विकास से वंचित रह जाएगा। इस योजना के द्वारा सरकार चाहती है कि यह हर घर एवं दुकान तक पहुँच जाए ताकि देश का प्रत्येक नागरिक इसका लाभ उठा सके।

योजना को संभव करने वाली तीन कडियां –

  1. इसमें पब्लिक डेटा ऑफिस की भूमिका सर्वोपरि है। यह कोई भी हो सकता है। इसके लिए किसी प्रकार के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।
  1. दूसरे नंबर पर पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर होगा , जो इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और टेलीकाफम कंपनियों से बैडविड्थ खरीदकर पब्लिक डेटा ऑफिस को बेच सकेगा।
  1. एप प्रोवाइडर एक ऐसा एप डिजाइन करेगा , जिससे उपभोक्ता, वाई-फाई एक्सेस पाइंट से जुड़ सकेंगे।

पब्लिक वाई-फाई के लिए इंटेरोपोरेबिलिटी और मल्टी पेमेंट ऑपरेशन जैसे दो स्तंभ महत्वपूर्ण हैं। इससे उपभोक्ताओं के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

ग्रामीण कनेक्टिविटी में सुधार

फिलहाल ग्रामीण भारत में इंटरनेट के प्रसार को लेकर चलने वाली योजना, भारत नेट को पी.एम वाणी के माध्यम से तेज एवं विस्तृत किया जा सकता है।

उपभोक्ताओं के निजी डेटा को सुरक्षित रखने के लिए ट्राई के माध्यम से डेटा के स्थानीयकरण पर जोर दिया जा रहा है। इस हेतु सरकार को डेटा सुरक्षा कानून लाने की आवश्यकता है।

फिलहाल , भारत में मोबाईल पर इंटरनेट के इस्तेमाल से दबाव बहुत बढ़ गया है। देश के मोबाईल उपभोक्ताओं में लगभग 88% 4जी नेटवर्क से जुड़े हुए है। इस प्रकार एक सीमित नेटवर्क से जुड़े लोगों को इस योजना से वाई-फाई का एक बड़ा दायरा दिया जा सकेगा।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित सुमेश श्रीवास्तव के लेख पर आधारित। 16 दिसम्बर, 2020

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