विदेश नीति में पिछड़ता भारत
Date:03-02-21 To Download Click Here.
2020 में पनपी अनेक अंतरराष्ट्रीय घटनाओं और रूझानों के 2021 में कुछ ठोस रूप लेने की उम्मीद की जा रही है। अमेरिका में हुआ नेतृत्व परिवर्तन शायद सबसे बड़ा परिवर्तन सिद्ध हो। परंतु इससे अंतराष्ट्रीय परिदृश्य में कोई खास बदलाव होने की संभावना नही दिखती। यूरोप ने पहले ही चीन से अपने संपर्क को मजबूत कर लिया है। इससे 2021 में चीन को बहिष्कृत रखने की संभावना भी विफल हो गई है। बदलते परिवेश में भारत जैसे बहुत से देश, अपने को सुरक्षित रखने के लिए हाथ-पांव मारते नजर आएगे।
शक्तिशाली चीन
इसमें कोई दो राय नहीं कि 2021 में चीन और भी शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा। पूरे विश्व में यही एक ऐसा देश है, जिसने महामारी की आर्थिक मंदी के बावजूद 2020 में सकारात्मक विकास दर रखी है। चीन की सैन्य शक्ति भी मजबूती की ओर है। 2021 में अपने तीसरे एयरक्राफ्ट लाचिंग की घोषणा के साथ ही यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभुत्व और भी बढ़ाने वाला है। चीन ने रूस के साथ भी सैन्य सहयोग बढ़ा लिया है।
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद ने भारत-चीन संबंधों में दूरी बढ़ा दी है। जब तक भारत सीमा संबंधी तनाव में अपनी ओर से सुधार करने का प्रयत्न नहीं करता, तब तक चीन से किसी नरमी की अपेक्षा करना बेकार है।
यूरोप की स्थिति
यूरोप में अगर ब्रिटेन को अलग कर दें, तो जर्मनी की चांसलर एजेला मर्केल के सेवानिवृत होने के बाद विश्व में ज्यादा बदलाव लाने का सामर्थ्य नहीं है। चीन के साथ यूरोप का निवेश समझौता यह बताता है कि यूरोप में राजनीति की अपेक्षा अर्थव्यवस्था प्राथमिकता पर है। रूस भी अपनी परिधि के देशों के साथ संबंध बढ़ाने का इच्छुक दिखाई देता है, जिसमें भारत जैसे देशों के लिए कोई विशेष स्थान नही होगा।
द्वीप बना भारत
चीन के साथ चल रहे तनाव के अलावा पश्चिमी एशियाई देशों के लिए भी भारत का कोई खास महत्व नहीं है। भारत-ईरान संबंधों में गर्मजोशी का अभाव है। अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में भारत को किनारे कर दिया गया है। पाकिस्तानी आतंकवाद को लेकर भारत ने पूरे विश्व का ध्यान जरूर आकर्षित किया है, परंतु इससे पाकिस्तान-चीन के संबंधों में मजबूती ही आई है।
हाल ही में भारत ने बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका और नेपाल से कूटनीतिक संबंधों में कुछ सुधार किया है। परंतु इसके अलावा ठोस परिणाम आने बाकी हैं। भारत चीन के तनावपूर्ण संबंधों में पड़ोसी देश किसी का भी पक्ष लेने से बच रहे हैं। इससे भारत अकेला सा पड़ गया है।
भारतीय कूटनीति और धारणाएं
हमारे राजनीतिज्ञ उच्च स्तर की क्षमता के साथ अपनी गतिविधियों का संचालन करते हैं। लेकिन वे संभवतः अन्य कारकों से बाधित होते हैं।
- एक धारणा है कि अमेरिका के साथ भारत की निकटता ने रूस और ईरान जैसे पारंपरिक दोस्तों से उसके संबंधों को कमजोर कर दिया है।
- दूसरा कारक, चीन से भारत का बढ़ता तनाव हो सकता है। एशिया की दो बड़ी शक्तियों के बीच होने वाले तनाव ने अनेक देशों को एक पक्ष की वकालत करने पर मजबूर कर दिया है।
- ऐसा भी हो सकता है कि भारत की विदेश नीति में विचारात्मक खालीपन आ गया है। इसका कारण अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट, महामारी के कारण होने वाली समस्याएं या राष्ट्रों और समाजों के मूल्यों में बढ़ता ध्रुवीकरण नहीं हैं। बल्कि संभवतः हमारी विदेश नीति की जड़ में निहित वैचारिक दायरे में भारत की अक्षमता या विफलता है।
विदेश नीति में भटकाव
वर्तमान में भारत उन दो वैश्विक निकायों से दूर हो गया है, जिसकी नींव रखने में उनका सहयोग रहा है। सार्क और गुट निरपेक्ष आंदोलन ऐसे ही दो वैश्विक मंच हैं। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में शुरू किए गए बिम्सटेक जैसे सहयोग गठबंधन को सफल नहीं बनाया जा सका है। तीसरे, भारत ने रिजनल क्रांप्रिहंसिव इकॉनॉमिक पार्टनरशिप से अपने को अलग रखा है। चौथे, यह एशिया इंडिया-चाइना (ए आई सी) जैसे समूह से कुछ भी लाभ नहीं ले पाया है। पाँचवे, दक्षिण एशिया के देशों से संबंध बनाने में इसकी विदेश नीति की दिशा सही नहीं है। नेपाल और बांग्लादेश जैसे पुराने मित्रों के साथ आपसी समझ और संवेदना के अभाव का परिचय दिया जा रहा है। छठा कारण, अमेरिका जैसे देशों के दबाव को ज्यादा ही तवज्जों दी जा रही है।
निष्कर्ष व समाधान
भारत की विदेश नीति के वैचारिक पुनर्गठन के लिए सक्षम सरकार के अलावा, तत्काल विवेकपूर्ण नीतियों का चयन, वास्तविक रूप से प्राप्त करने योग्य उद्देश्यों की खोज और प्रशासन में फेरबदल से परे नीतियों की निरंतरता की आवश्यकता है। अगस्त 2021 में भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सदस्य के रूप में काम करना है। अगर इसे वास्तव में प्रभावशाली बनाना है, तो भारत को अपने पारंपरिक प्रभाव क्षेत्रों पर वजन देकर नीतियों को आकार देना चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित एम के नारायणन के लेख पर आधारित। 12 जनवरी, 2021