वैश्विक संस्थानों की अब कोई अहमियत नहीं है

Afeias
19 Jun 2024
A+ A-

To Download Click Here.

वर्तमान दौर की खंडित भूराजनीति में वैश्विक संस्थाओं का कोई खास महत्व नही रह गया है। ऐसी ही एक संस्था अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय या इंटरनेशलन क्रिमिनल कोर्ट या आईसीसी है। एक प्रकार से यह संस्था अपने अंतिम क्षणों का सामना कर रही है।

कुछ बिंदु –

वैश्विक कानूनी संस्थाओ की स्थापना 1945 के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में हुई थी।

इसके बाद की विश्व-व्यवस्था श्रेणीबद्ध है। यानि कि संयुक्त राष्ट्र संगठन के नीचे बाकी की वैश्विक संस्थाएं आती हैं। यहाँ पाँच प्रमुख वैश्विक शक्तियों को वीटो पॉवर मिला हुआ है। यही पाँच शक्तियां विश्व व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार है। और इसे बाधित करने के लिए भी वही जिम्मेदार हैं।

आईसीसी को यह अधिकार है कि वह राष्ट्रीय न्यायालयों को दरकिनार करके, युद्ध अपराधों से जुड़े किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा चला सकती है। लेकिन इसमें वह प्रवर्तन एजेंसियों को दरकिनार नहीं कर सकती। अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए गत वर्ष इसने पुतिन के विरूद्ध और इजरायल-हमास संघर्ष में नेतन्याहू सहित पांच महत्वपूर्ण व्यक्तियों के विरूद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। लेकिन सुनने वाला कौन है?

नियम आधारित व्यवस्था के दो भाग हैं – संघर्ष को बचाना और दूसरा आर्थिक सहयोग। संप्रभु राज्यों के बीच विचार-विमर्श और बातचीत से ही यह संतुलन पैदा हो सकता है। लेकिन फिलहाल यही दबाव में है।

यही कारण है कि विश्व व्यापार संगठन, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय जैसे बहुपक्षीय निकाय अप्रभावी हो चले हैं।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 मई, 2024

Subscribe Our Newsletter