सोशल मीडिया के माध्यम से जासूसी
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भारत के सैन्य ढांचे की साइबर सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। समय-समय पर इसमें सेंध लगती रहती है। हाल ही में डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक को पाकिस्तान ने हनी ट्रैप में ले लिया था। ये वैज्ञानिक अनेक प्रयोगशालाओं और 50 से अधिक डीआरडीओ प्रतिष्ठानों तक पहुंच रखते थे। इसके अलावा मिसाइल लॉन्चर कार्यक्रम के निरीक्षण से जुड़े शोध एवं अनुसंधान डिवीजन का नेतृत्व कर चुके थे। इतने महत्वपूर्ण एवं गोपनीय क्षेत्र में काम रकने वाले लोगों का हनी ट्रैप में फंसना चिंतनीय है।
इस घटना को देखते हुए डीआरडीओ ने अपने 5000 वैज्ञानिकों को सोशल मीडिया पर सतर्क रखने के लिए ‘साइबर अनुशासन’ का सर्कुलर जारी किया है।
हमारी सैन्य बुनियादी ढांचे की साइबर सुरक्षा अच्छी है। लेकिन साइबर इन्फ्रा अपग्रेड और तकनीकी विशेषज्ञता की पर्याप्त आपूर्ति के मामले में कमी है। हार्डवेयर भी बड़े पैमाने पर बाहर ही बनता है। लेकिन सबसे कमजोर कड़ी मानवीय भूल है। यह बार-बार एक बड़े सुरक्षा खतरे के रूप में उभरी है।
इस वर्ष सेना ने अपने सभी अधिकारियों और सैनिकों को साइबर अनुशासन की चेतावनी दी है। डीआरडीओ भी ऐसा ही कर रहा है। इसके अलावा भी सेना और रक्षा स्टाफ के सभी लोगों को सोशल मीडिया पर आईपी एड्रेस चैक करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। साथ ही किसी संदेहास्पद नंबर की तुरंत रिपोर्ट करने के भी निर्देश दिए जाने चाहिए। ऐसे कुछ उपायों से सेना में साइबर धोखे के मामलों को कम करने की कोशिश की जा सकती है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 23 मई, 2023