
सिंगल नोडल एजेंसी का विस्तार राज्यों के हित में है
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- वित्त मंत्रालय ने राज्यों को धन हस्तांतरित करने के लिए सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) प्रणाली के व्यापक कवरेज की मांग की है।
- ज्ञावव्य हो कि राज्यों को हस्तांतरित निधि का पूरा उपयोग न होने पर केंद्र 30 दिनों से अधिक की देरी पर दंडात्मक ब्याज लगाता है। यह प्रथा 1 अप्रैल, 2023 से शुरू की गई है। यह दंड 7% वर्ष की दर से लगाया जाता है।
- एसएनए के होने से प्रशासनिक सुधारों में तेजी आई है। इससे राज्य ब्याज में बड़ी बचत कर सके हैं।
- एसएनए पारदर्शी है, क्योंकि धन केवल उस चरण में विशिष्ट खातों में डेबिट किया जाता है, जब उसकी आवश्यकता होती है। इससे योजना और परियोजना निगरानी में सुधार होता है।
- इससे भी बड़ी बात यह है कि एजेंसी डेटा तैयार करती है। इससे सार्वजनिक नीतियों के सही कार्यान्वयन और तकनीक सहायता प्राप्त करके कर-संग्रह में सुधार किया जा सका है।
राज्यों में निधि के पर्याप्त और समयानुसार उपयोग को अभी बहुत बढ़ाए जाने की जरूरत है। केंद्र प्रायोजित योजनाएं भारत के विकास को अधिक समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण हैं। इन योजनाओं के लिए राज्यों को सहमत करना एक बड़ी बाधा हो सकती है। इस हेतु नोडल एजेंसी का विस्तार काम आ सकता है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 03 मार्च, 2025