शहरी जैव विविधता में आती कमी

Afeias
25 Jun 2025
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शहरी जैव विविधता को नष्ट किए बिना विकास कैसे किया जा सकता है? इस प्रश्न के उत्तर को ढूंढने के लिए ही 22 मई 1992 को जैविक विविधता पर कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी या सीबीडी संपन्न किया गया था। इस दिन से प्रतिवर्ष ‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ मनाया जाता है।

कुछ बिंदु –

  • इस वर्ष इस दिवस का विषय ‘प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत् विकास‘ रखा गया है।
  • ज्ञातव्य हो कि कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल डायवर्सिटी फ्रेम वर्क (जी बी एफ) को भी सीबीडी ने ही विकसित किया है। इसमें 2030 तक वैश्विक जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए चार बिंदुओं में 23 लक्ष्य शामिल किए गए हैं।

शहरी क्षेत्रों में घटती जैव विविधता –

  • दुनिया की लगभग आधी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है। यह 2050 तक बढ़कर 70% हो सकती है। शहरी जमीनें प्रीमियम हैं, और प्रतिस्पर्धी मांगों से चलती रहती हैं। ऐसी स्थिति में हमारे पास हरियाली के लिए जगह बचती ही कहाँ है? जबकि शहरी जैव विविधता के लाभ बहुत हैं –

1)    इससे स्वास्थ्य की रक्षा होती है।

2)    एक अध्ययन के अनुसार मेगा सिटी के पेड़ लगभग प्रतिवर्ग कि.मी. से 8 करोड़ का आर्थिक लाभ देते हैं।

  • एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख भारतीय शहरों में औसत वन क्षेत्र उनके भौगोलिक क्षेत्र का केवल 10.26% है। चेन्नई और हैदराबाद में 2021 और 2023 के आकलन के बीच 2.6 और 1.6 वर्ग किमी. वन क्षेत्र कम हो गए हैं।

शहरी जैव विविधता सूचकांक और उसका बचाव

  • शहर की वर्तमान स्थिति के आधार पर तीन बड़े मापदंडों के आधार पर जैव विविधता सूचकांक तैयार किया जाता है। ये मापदंड हैं – शहर में मूल जैव विविधता की सीमा, उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं, और जैव विविधता के प्रशासन का स्तर।
  • यदि वातावरण अनुकूल हो, तो शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता को बढ़ाया जा सकता है –
  • शहरों में वृक्षारोपण करके तितली की प्रजातियां बढ़ाई जा सकती हैं। चेन्नई में ऐसे कार्यक्रम से पक्षियों की 35 और तितलियों की 27 प्रजाति को आकर्षित किया जा सका है।
  • अधिकांश शहरी जल निकाय कचरा और सीवेज प्रदूषण के कारण अपनी पारिस्थितिकी को खो रहे हैं। कचरा डंपिंग को रोकने और सीवेज के उपचार के बाद उन्हें बहाल किया जाना चाहिए।
  • शहरी क्षेत्रों में शेष झीलों और जल निकायों को कानूनी सुरक्षा दी जानी चाहिए।
  • शहरी क्षेत्रों में 2400 वर्ग फुट से अधिक के प्लॉट पर कम से कम पांच पेड़ लगाने की अनिवार्यता की जानी चाहिए।
  • हर घर में हरियाली एवं औषधीय पौधों की खेती करने के लिए टैरेस फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • जैव विविधता को नष्ट करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • नगर-प्रबंधकों को प्लालिंग में जैव विविधता के विचारों को मुख्य धारा में लाना चाहिए।
  • जैव विविधता को प्रदूषण और अतिक्रमण से बचाने में विभिन्न नागरिक संघों, एनजीओ और कॉरपोरेट्स की भागीदारी होनी चाहिए। इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित एस.बालाजी के लेख पर आधारित। 22 मई 2025