जैव विविधता का जीवन में महत्व

Afeias
24 Jun 2022
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22 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता’ दिवस मनाया गया है। इसने हमें जैव विविधता के विभिन्न रूपों की सराहना करने और उनके पोषण व संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने का अवसर दिया है। हम विविधता से समृद्ध राष्ट्र हैं। हमारी जातीय, सांस्कृतिक और भाषाई विविधता हमारी भूमि, जलवायु और भूगोल की अनूठी विशेषताओं के साथ-साथ प्रवास और विकास की शक्तियों से बहुत प्रभावित हुई है। इन ताकतों ने हमारी भूमि को पौधों, जानवरों और अन्य जीवों की कई प्रजातियों से समृद्ध किया है।

मानव प्रजाति, जैव विविधता का एक अभिन्न और प्रभावशाली घटक है। हमारे शरीर में असंख्य सूक्ष्म जीवों की मौजूदगी रहती है। इनके बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं। भूमि और जैव विविधता के निरंतर क्षरण, बढते कुपोषण भूख और पर्यावरणीय अन्याय से अनिश्चितता बढती जा रही है। महामारी के अलावा, उन्नत भारत के अधिकांश हिस्सों में बढती गर्मी और मेघालय में बाढ़ इसके प्रमाण हैं।

प्रकृति आधारित समाधान –

जैव विविधता में होने वाली गिरावट का समाधान भी प्राकृतिक संसार से ही मिल सकता है। भूमि के बड़े भूभाग पर जैव विविधता को बहाल करना भारत द्वारा पेरिस समझौते के तहत की गई प्रमुख प्रतिबद्धताओं में से एक है।

वनीकरण करना और भूमि के क्षरण को रोकना एक बड़ा शमनकारी उपाय हो सकता है। निम्नीकृत भूमि की बहाली और महासागरों में नीले कार्बन को बढ़ाने से पर्यावरणीय लाभ हो सकते हैं। इस बहाली में लाखों रोजगार सृजित करने, कृषि प्रणालियों में विविधता लाने और कृषि आधारित आजीविका को विकसित करने की क्षमता है।

भारत में जैव विविधता आधारित उद्यमों की क्षमता का अब तक उपयुक्त उपयोग नहीं किया जा सका है। 2020 में जैव प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य देखभाल में जैविक मूल के अणुओं का बाजार 70 अरब डॉलर था। हमने अपने हजारों औषधीय पौधों से समृद्ध चिकित्सा विरासत का दोहन नहीं किया है। इस क्षेत्र में संभावना है।

प्रकृति हमारे मन और आध्यात्मिक समृद्धि में भी योगदान देती है। हमारा देश शांतिपूर्ण प्राकृतिक स्थलों और समुद्र-तटों से भरा हुआ है। इसको समृद्ध रखकर हम मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।

अंततः, जैव विविधता और मानक कल्याण पर एक राष्ट्रीय मिशन की शुरूआत की जा सकती है। इसकी परिकल्पना और योजना में सार्वजनिक- निजी संस्थानों के साथ जन भागीदारी चाहिए। यह मिशन सभी प्रमुख विकास कार्यक्रमों में विशेष रूप से कृषि, स्वास्थ्य, जैव अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और जलवायु परिवर्तन शमन के क्षेत्रों में जैव विविधता को एक प्रमुख विचार के रूप में शामिल करने का प्रयत्न कर सकता है। इस शुरूआत से परिवर्तन संभव हो सकता है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित कमल बावा के लेख पर आधारित। 23 मई, 2022

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