शहरी विकास की निरंतरता

Afeias
22 Mar 2021
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Date:22-03-21

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बजट 2021 और 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट ने भारत के शहरों के लिए एक नए युग की शुरूआत की है। पांच वर्षों में आए इस 7 लाख करोड़ के बजट और अनुदान परिव्यय से हमारे शहरों की क्षमता में बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा सकती है। इससें व्यवसाय में सुगमता और जीवनयापन की सुगमता जैसी सुविधाओं को गति मिल सकती है। शहरों के लिए आवंटित राशि को क्रमशः स्वच्छ जल, स्वच्छता, स्वास्थ-सेवा, परिवहन, स्वच्छ वायु, मेट्रो रेल, नए शहरों, साझा नगरपालिका आदि में बांटा गया है।

कुछ मुख्य बिंदु –

  • प्रधानमंत्री आवास योजनाए अटल मिशन फॉर अर्बन ट्रांसफार्मेशन, स्वच्छ भारत मिशन और स्मार्ट सिटी मिशन ने नागरिकों को केंद्र में रखते हुए शहरी प्रशासन में एक नया दृष्टिकोण विकसित किया है।
  • जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन 2.0, नागरिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की बेहतरी के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
  • शहरी विकास में गतिशीलता की धारणीयता एक अहम् घटक है। इससे संबंधित बस सेवाओं, मेट्रो रेल, छोटे शहरों के लिए मेट्रो लाइट और मेट्रो रेल में निवेश से इस सुविधा की पूर्ति की योजना बनाई गई है।
  • सस्ता सार्वजनिक परिवहन जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है। साथ ही बेहतर आजीविका के लिए अधिक विकल्प खोलता है। इससे कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है।
  • शहरों में लाइसेंस व्यवस्था के सरलीकरण की दिशा में काम किया जा रहा है। इसके लिए डिजटलीकरण को बढ़वा दिया जा रहा है, जो मानव इंटरफेस को कम करेगा।
  • शहरी प्रशासन के लिए संस्थागत ढांचे की मजबूती बहुत महत्वपूर्ण है। इस हेतु स्थानीय सरकारों को मजबूत करने के लिए ठोस और एकीकृत प्रयास किए जा रहे हैं।
  • संपत्ति कर सुधारों पर जोर दिया जा रहा है। इससे नगर निकायों को आत्म निर्भर बनाया जा सकता है। नौ शहरी निकाय तो म्यूनिसिपल बांडस के जरिए अपने फंड में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। यह उनकी व्यावसायिकता का परिचायक है। इससे उनके कामों में निरंतरता, पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
  • मध्यावधि में आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और उत्पादकता बड़े शहरों के नेतृत्व में होगी।
  • दस लाख से अधिक की आबादी के लिए 38,000 करोड़ का मिलियन प्लस चैलेंज फंड, 15वें वित्त आयोग का एक स्वागत योग्य कदम है। यह महानगरीय क्षेत्रों में विभिन्न नागरिक एजेंसियों के बीच अत्यंत आवश्यक एकीकरण और समन्वय को भी प्रोत्साहित करता है।
  • नए शहरों के लिए 78,000 करोड़ का बीज कोष (सीड फंड) राज्यों द्वारा नियोजित शहरीकरण में नवाचार के लिए स्थान प्रदान करता है।
  • साझा नगरपालिका सेवाओं की अवधारणा, शहरों की क्षमता का निर्माण करने के लिए प्रेरणा प्रदान करती है।
  • भविष्य के शहरों को समस्याओं से निपटने के लिए नगरपालिका को और सक्षम बनाना होगा। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय की साझेदारी में, द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम की शुरूआत की है। स्थानीय निकायों और स्मार्ट सिटी में नए स्नातकों व डिप्लोमा धारकों को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
  • कोविड-19 के दौरान, एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्रों की भूमिका सराहनीय रही है। इन केंद्रों ने शहर के प्रशासकों को वास्तविक समय की जानकारी देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

शहरी भारत के समक्ष 21वीं सदी की कई ऐसी चुनौतियां खड़ी होती रहेंगी, जिनके समाधान के लिए सरकार के विभिन्न स्तरों, विभिन्न सिविल सोसायटी, व्यवसायों और शिक्षविदों के बीच एक उच्चस्तरीय साझेदारी की आवश्यकता बनी रहेगी। इसी साझेदारी के माध्यम से बेहतर समाधान प्राप्त किए जा सकेंगे।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित हरदीप पुरी के लेख पर आधारित। 27 फरवरी, 2021