सहकारी संघवाद की महत्वपूर्ण भूमिका

Afeias
04 Jun 2021
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Date:04-06-21

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भारतीय लोकतंत्र का स्वरूप संघीय है। भले ही हमारे संविधान में ‘संघवाद’ जैसे शब्द को अलग से शामिल न किया गया हो, लेकिन भारतीय लोकतंत्र का ढांचा सहकारी संघवाद पर आधारित है। इस प्रकार के ढांचे में केंद्र और राज्य एक प्रकार की क्षैतिज साझेदारी लेकर चलते हैं, और इसके अंतर्गत वे सार्वजनिक हितों को सर्वोपरि रखते हुए सहयोग भी करते हैं।

महामारी के पहले चरण में केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी और समन्वय का बहुत अच्छा तालमेल देखा गया था। दलीय राजनीति से ऊपर उठकर सभी ने स्वास्थ्य केंद्रों, वेंटीलेटर के अलावा वायरस पर जानकारी की साझेदारी से जन-धन की बहुत कम हानि के साथ जीत हासिल की थी। पिछले तीन महीनों की समयावधि में विचारों के मतभेदों को सुलझा पाने की वह तत्परता एक बार भी देखी नहीं गई है।

चाहे वैक्सीन आवंटन हो, ऑक्सीजन की कमी हो या अन्य समस्याएं हों, विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों की यह सामान्य शिकायत रही है कि उनकी बात को सुना ही नहीं जाता है। झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि ‘प्रधानमंत्री केवल अपने मन की बात करते हैं।’ बंगाल की मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक को ‘एकतरफा अपमान’ करार दिया है।

भाजपा ने भले ही ममता बनर्जी के आरोप को गलत ठहरा दिया हो, लेकिन यह भी सच है कि संकट का यह समय दलों की तकरार का नहीं है। इस समय भाजपा को टीएमसी के साथ अपने संबंधों से अलग हटकर, देश को सर्वोपरि रखते हुए प्रत्येक राज्य-प्रतिनिधि की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस के बदलते स्वरूप से जुडे हमलों को देखते हुए तालमेल के साथ अच्छी तैयारी की जरूरत है। आवश्यक वस्तुओं व दवाओं की आपूर्ति के लिए केंद्र व राज्यों को मिलकर काम करना होगा।

उच्चतम न्यायालय ने एस आर बोम्मई वाले अपने ऐतिहासिक फैसले में स्पष्ट कहा था कि राज्य सरकारें, केंद्र का उपकरण मात्र नहीं हैं। उनकी विशिष्ट विधायी और प्रशासनिक क्षमताएं हैं, जिनको वे अपनी सरकार के तीनों अंगों के माध्यम से धारण करते हैं। अतः राज्यों को संसद के कानूनों को लागू करने के लिए सौंपी गई प्रशासनिक एजेंसी तक सीमित नहीं किया जा सकता है। राज्यों के संवैधानिक पदाधिकारियों की शपथ को संविधान के अनुच्छेद एक के आलोक में समझा जाना चाहिए, जो ‘राज्यों के संघ’ के रूप में भारत की पहचान को रेखांकित करता है।

वर्तमान परिस्थिति के संदर्भ में केंद्र सरकार से उम्मीद की जा सकती है कि वायरस के संक्रमण से जुड़े तथ्यों, जानकारी और रोकथाम के उपायों को जल्द-से-जल्द पूरे देश में यथासमय पहुँचाया जाता रहे। सहकारिता ही एक बार फिर महामारी से निजात पाने का अमोघ अस्त्र बने।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 मई, 2021