सऊदी अरब के श्रम सुधारों से भारत को लाभ

Afeias
25 Nov 2025
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सउदी अरब ने श्रम सुधार किए हैं। इनमें विदेशी कामगारों के लिए प्रायोजक कार्यक्रम (स्पॉन्सरशिप प्रोग्राम) विशेष महत्व रखता है। इस बदलाव का अर्थ यह लगाया जा रहा है कि सऊदी अरब तेल से हटकर अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाते हुए विदेशी निवेश के द्वार खोल रहा है। भारत के लिए इसके क्या मायने हो सकते हैं –

  • सउदी अरब में 40% से ज्यादा कामगार विदेशी हैं। इनमें से ज्यादातर भारत सहित दक्षिण एशिया से हैं। सउदी अरब के बुनियादी ढाँचा निर्माण कार्य में तेजी आई है। यह श्रम-प्रधान है। यहाँ भारत का अनुभव और प्रवासी श्रमिक; दोनों ही उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
  • फिलहाल सउदी की कफला प्रणाली में ढील दी गई है। ऐसा करना उसके 2030 के उसके विजन का हिस्सा है। यह दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन की सोच से मेल खाता है। इस परिवर्तन तक पहुँचने के लिए भी सउदी को भारत से रचनात्मक सहयोग मिल सकता है।

प्रवासी मजदूरों की एक बड़ी श्रेणी के लिए सउदी से बाहर निकलने और नौकरी बदलने की छूट के सुधार पर्याप्त तो नहीं, लेकिन सकारात्मक कदम अवश्य हैं। भारत की खाड़ी सहयोग परिषद् के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। कुछ द्विपक्षीय समझौते भी हुए हैं। इनमें सउदी अरब सबसे बड़ा भागीदार है।

‘द इकानॉमिक टाइम्समें प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 27 अक्टूबर 2025