सैन्य उत्पादों के पूर्ण स्वदेशीकरण के लिए क्या करना चाहिए
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भारत स्वदेशी रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में इस क्षेत्र में पहली निजी भागीदारी हुई है। वडोदरा में सी-295 विमान के निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया गया है। वास्तव में यह निर्माण नहीं, वरन् असेंबली करेगा। सवाल यह है कि भारत को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए क्या करना चाहिए –
- फिलहाल भारत रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है। यह 2019-23 में कुल वैश्विक आयात का 9.8% आयातक रहा है। दूसरी ओर, आर्मेनिया को छोड़कर (यह तैयार हथियार प्रणालियों का सबसे बड़ा ग्राहक है) अन्य देश भारत से उप-प्रणालियाँए गोला-बारूद और फ्यूज खरीद रहे हैं।
- फिलहाल देश महत्वपूर्ण रक्षा हार्डवेयर के लिए विदेशी स्रोतों पर निर्भर है। इसका समाधान रक्षा अनुसंधान एवं विकास और इंजीनियरिंग में बड़े पैमाने पर निवेश में निहित है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उद्योगों, निजी क्षेत्र, आपूर्तिकर्ता, अनुसंधान-विकास, थिंक टैंक और विश्वविद्यालयों को शामिल करते हुए रक्षा-उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जाना चाहिए।
- इस हेतु शिक्षा में पर्याप्त निवेश किया जाना चाहिए। इसके माध्यम से रक्षा क्षेत्र में कुशल श्रमशक्ति को लाया जा सकता है।
- निवेश करके ही रक्षा उत्पादन से जुड़ी मूलभूत प्रौद्योगिकियों का स्वदेशी विकास किया जा सकता है।
चीन ने शुरू से अंत तक विमान का उत्पादन करना सीखने में वर्षों लगा दिए, और आत्मनिर्भरता प्राप्त की। भारत भी ऐसा कर सकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 29 अक्टूबर, 2024
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