राखीगढ़ी
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राखीगढ़ी का इतिहास –
हड़प्पा सभ्यता में अफगानिस्तान, पाकिस्तान से लेकर भारत स्थित पुरातान्विक स्थलों में राखीगढ़ी को प्रद्वितीय माना जाता है। यह वर्तमान में हरियाणा में स्थित है। इससें संबंधित 2000 पुरास्थल चिन्हित हो चुके हैं।
वर्तमान में हुए शोध –
- हरियाणा स्थित राखीगढ़ी के पुरातात्विक स्थल पर पाए गए कंकाल-अवशेषों के डीएनए के आधार पर कहा जा रहा है कि हड़प्पावासी हरियाणा के मूल निवासी थे।
- हड़प्पावासियों की आनुवांशिक जड़ें 10000 ईसा पूर्व तक जारी रही। इस तथ्य को नए सिरे से संयोजित करके मानव सभ्यता की विकास-यात्रा के नए आयाम लिखे जा सकते हैं।
- 63% से अधिक पुरास्थल सरस्वती और उसकी सहायक नदियों के, जबकि 21% सिंधु व उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे थे। इसलिए इसे “सिंधु-सरस्वती सभ्यता” कहां जाना चाहिए।
- राखीगढ़ी में नमस्कार तथा पद्मासन की मुद्रा में योगी की मृण्मूर्ति मिली है। ASI को दो महिलाओं के कंकाल भी मिले हैं। इनके हाथों में खोल की चूड़ियां, तांबे का दर्पण, पत्थरों के मनके और मालाएं मिली हैं। ये कंकाल 2800 ई.पू. के हैं। ये भारतीय वंशज ही हैं, क्योंकि ईरान या तुर्की से आए खेतिहरों का कोई प्रमाण नहीं है।
- इस स्थल की तीसरी खुदाई से यह स्पष्ट हो गया है कि हडप्पा सभ्यता का सबसे सुनियोजित, सुव्यवस्थित खूबसूरत और बड़ा नगर मोहनजोदारों नही बल्कि राखीगढ़ी है।
- तीसरी खुदाई में मिले महत्वपूर्ण पुरावशेषों में सबसे खास है – सोने के आभूषण तराशने की फैक्टरी। इसका कालखंड लगभग 5000 वर्ष पुराना है।
- एक सोने की पट्टिका भी प्राप्त हुई है, जिस पर हडप्पा लिपि में कुछ लिखा है विशेषज्ञ इसे पढ़ने की कोशिश कर रहे है।
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